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लखनऊ में 2 जनवरी को PM मोदी की रैली, कौन-से हो सकते हैं बड़े ऐलान

नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने के बाद पीएम मोदी 2 जनवरी को लखनऊ में करेंगे परिवर्तन रैली

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मैंने देश से सिर्फ पचास दिन मांगे हैं, 30 दिसंबर तक का वक्त दीजिए. उसके बाद अगर मेरी कोई गलती निकल जाए, कोई कमी रह जाए, तो देश जो सजा देगा उसे भुगतने के लिए तैयार हूं.

नोटबंदी के चार दिन बाद गोवा की रैली में किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस भावुक वादे की मियाद खत्म होने को है. पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि नोटबंदी के पचास दिन बाद मोदी उम्मीदों का आखिर कौन-सा पिटारा खोलेंगे.

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'50 दिन' के बाद पहली रैली

प्रधानमंत्री भी लोगों को ज्यादा इंतजार करवाने के मूड में नहीं हैं. मियाद खत्म होने के महज तीन दिन बाद ही वो लोगों से पहला सामना करेंगे. ये सामना होगा 2 जनवरी को लखनऊ में होने वाली परिवर्तन महारैली में.

पर आखिर लखनऊ ही क्यों

दरअसल पहले ये रैली 24 दिसंबर को होनी थी. फिलहाल पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी की चार परिवर्तन यात्राएं चल रही हैं. 24 दिसंबर को लखनऊ में इन यात्राओं का समापन होगा. पार्टी इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर एक बड़े 'शो' के तौर पर पेश करने वाली थी. लेकिन बाद में इसे 'पचास दिन' के बाद के पहले मौके के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला किया गया.

भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि वो परिवर्तन महारैली में भारी भीड़ जुटाकर यूपी के चुनावी तालाब में कमल का फूल खिला देगी. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मोदी इस रैली में लोगों से कहेंगे क्या.

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संबोधन पर जबरदस्त मंथन

रैली में प्रधानमंत्री के संबोधन को लेकर बीजेपी और सरकार के मैनेजरों में जबरदस्त माथापच्ची चल रही है. संबोधन का एक-एक शब्द तर्क और वाक्पटुता के तराजू पर तुल रहा है. नोटबंदी के नतीजों को लुभावने तरीकों से पेश करने की योजनाएं बन रही हैं और रैली में होने वाली संभावित घोषणाओं की नई शक्लें और नाम तय किए जा रहे हैं.

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क्या कहेंगे मोदी

क्या कहेंगे मोदी- लाख टके के इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए क्विंट हिंदी ने बीजेपी और सरकार में कई लोगों से बात की. तमाम बातचीत को निचोड़ कर हमने प्रधानमंत्री के भाषण का एक संभावित खाका तैयार किया है. तो आप भी पढ़िये कि पचास दिन के बाद के पहले भाषण में आखिर क्या कहेंगे मोदी.

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देशवासियों का धन्यवाद

सबसे पहले प्रधानमंत्री अपने खास अंदाज में नोटबंदी की सफलता का उल्लेख करेंगे. इसका श्रेय देशवासियों की कोशिशों और 'तपस्या' को दिया जाएगा. मोदी कहेंगे कि लोगों ने भारी परेशानी उठाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ इस महायज्ञ में आहुति डाली. वो चेतावनी देंगे कि सारा पैसा बैंकों में भले वापस आ गया हो, लेकिन ये सब सफेद नहीं है. इसमें कालाधन भी है, जिसकी जांच की जा रही है.

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सफेदपोश 'लुटेरों' के खिलाफ जंग

मोदी यकीन दिलाएंगे कि कालेधन को नए नोटों, सोने और चांदी में तब्दील करने वालों पर छापामारी जारी रहेगी. पिछली सरकारों से अभयदान हासिल कर चुके सफेदपोश 'लुटेरों' के खिलाफ जंग छेड़ने का एलान होगा. पीएम कहेंगे कि उन्होंने जान की बाजी लगाकर इतना बड़ा फैसला किया. वोट बैंक की पॉलिटिक्स को दरकिनार कर दिया. भविष्य में भी कामयाब होने के लिए वो लोगों से आशीर्वाद मांगेंगे. देशवासियों के बहाने दरअसल ये आशीर्वाद उत्तर प्रदेश के लोगों से मांगा जाएगा कि वो वोटिंग के दिन कमल का बटन दबाएं.

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50 दिन में कैशलेस

आंकड़ों के मुताबिक, 8 नवंबर को 500 और 1000 के नोट बंद किए जाने के बाद डिजिटल भुगतान में करीब 1200 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. पिछले एक महीने में ई-वॉलेट, यूपीआई, यूएसएसडी, रुपे कार्ड और पीओएस मशीन के जरिए भुगतान 400 से 1300 फीसदी तक बढ़ा है.

प्रधानमंत्री लोगों को बताएंगे कि पिछले पचास दिनों में देश कितना लेस कैश हुआ और कैशलेस की तरफ बढ़ा. वो गुजारिश करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा लोग भुगतान के इस आधुनिक तरीके को अपनाएं.

पीएम युवाओं को ताकीद करेंगे कि कैशलेस भारत के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा योगदान दें. मोदी ये अहसास भी करवाएंगे कि जनधन खाते की शक्ल में उन्होंने गरीबों के हाथ में कितना बड़ा हथियार दिया है. जनधन खातों में कुछ कैश ट्रांसफर की संभावाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

सूत्रों के मुताबिक सरकार डिजिटल भुगतान से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नबंर शुरू करने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ रैली के मंच से इसका एलान कर सकते हैं.

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आंकड़ों की बाजीगरी

इनकम डिस्क्लोजर स्कीम और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कुछ दूसरे कदमों के जरिये सरकारी खजाने में आए पैसे का हिसाब-किताब इतनी जल्दी मुमकिन नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री 3 से 5 लाख करोड़ रुपये के बीच का एक अनुमानित आंकड़ा पब्लिक के बीच उछालेंगे. चूंकि पचास दिन पूरे होने में कुछ दिन बाकी हैं, लिहाजा ये आकंड़ा क्या होगा, अभी इस पर माथापच्ची चल रही है.

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किसानों के लिए खास

प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश की जनता और सूबे के विकास पर खास जोर देंगे. अपने भाषण में गांव, गरीब, दलित, शोषित, वंचित, पीड़ित को पुचकारते हुए वो वादा करेंगे कि 'लुटेरों' से जब्त पैसा सामाजिक विकास की योजनाओं में लगाया जाएगा.

उत्तर प्रदेश में 60 फीसदी लोग खेती पर आश्रित हैं. लाखों किसान कर्ज में डूबे हैं. ये एक बड़ा वोट बैंक है. प्रधानमंत्री की घोषणाओं में किसानों के लिए खास तोहफे होंगे. अटकल ये है कि वो 'कर्ज माफी' शब्द का इस्तेमाल न करते हुए किसानों को कर्ज से राहत देने का एलान करेंगे. ये सस्ते लोन की शक्ल में हो सकता है.

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महिलाओं और युवाओं को लॉलीपॉप

वोट वैंक के नजरिये से महिलाएं और युवा पीएम मोदी का पसंदीदा विषय रहे हैं. लखनऊ रैली के भाषण में भी इन दोनों वर्गों के लिए कुछ तोहफे जरूर होंगे. विपक्ष और कई अर्थशास्त्री देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के बुरे असर की आशंका जता चुके हैं. जिसके बाद नौकरीपेशा लोगों को अपनी नौकरियों पर तलवार लटकती नजर आ रही है. लेकिन प्रधानमंत्री इसका जवाब देंगे. वो बताएंगे कि सरकार के इस डिजिटल पुश अभियान के तहत आने वाले दिनों में नए रोजगार कैसे पैदा किये जाएंगे.

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आचार संहिता का साया

बीजेपी की नजर यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तारीखों पर भी है. अगर चुनाव आयोग ने ये घोषणा दिसंबर के आखिरी हफ्ते तक कर दी, तो 2 जनवरी की रैली पर आचार संहिता का साया होगा. लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे खास फर्क नहीं पड़ता. प्रधानमंत्री की ज्यादातर घोषणाएं और वादे पूरे देश के लिए होंगे, सिर्फ यूपी के लिए नहीं, लिहाजा उन पर चुनाव आयोग का चाबुक नहीं चल पाएगा.

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भ्रष्टाचार के खिलाफ 'धर्मयुद्ध'-2

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कह रहे हैं कि काले धन के खिलाफ नोटबंदी की कार्यवाही पूर्ण विराम नहीं है. आगे और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे. उनके इन इशारों को 2 जनवरी की रैली में बेहतर शक्लो-सूरत मिल सकती है. ये भ्रष्टाचार के खिलाफ 'धर्मयुद्ध'-2 होगा. सूत्रों के मुताबिक इस एलान में बेनामी संपत्ती पर सरकारी शिकंजे की कसावट का ब्लूप्रिंट मिलेगा.

8 नवंबर के बाद से देश बैंक और एटीएम की कतारों में लगा है. लोग अपने ही खातों से अपना पैसा निकाल नहीं पा रहे. पीएम जानते हैं कि ऐसे माहौल में देशवासियों पर लुभावनी घोषणाओं का गुलाबजल फेंकना जरूरी है. लेकिन अगर आने वाले दिनों में लोगों की परेशानी दूर न हुई, बैंकों में कैश न पहुंचा और नौकरियों पर गाज यूं ही गिरती रही, तो ये गुलाबजल गुस्से के तेजाब में भी बदल सकता है.

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