पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) दिल्ली में हैं और कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के बाद उन्होंने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात की है. राज्यपाल धनखड़ पीएम मोदी से भी मिल सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बंगाल में कथित तौर पर बिगड़ती कानून व्यवस्था के बारे में जानकारी राज्यपाल की तरफ से प्रधानमंत्री (PM Modi) और गृहमंत्री को दी जाएगी .
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद से ही ममता बनर्जी और राज्यपाल धनखड़ के बीच चल रही तल्खियों का 'चैप्टर-2' शुरू हो गया है. जगदीप धनखड़ कई बार ममता बनर्जी और राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर चुनाव के बाद हुई हिंसा पर नसीहत दे चुके हैं. वहीं ममता बनर्जी कई बार राज्यपाल को संवैधानिक दायरे में रहने को कह चुकी हैं. तो ऐसे में इस 'ममता Vs धनखड़' के 'चैप्टर-2' की पूरी टाइमलाइन पर गौर करते हैं.
'ममता Vs धनखड़' के 'चैप्टर-2' की पहली सार्वजनिक घटना
कड़ी टक्कर के कयासों के बीच 2 मई को ममता बनर्जी ने एक बार फिर राज्य में बहुमत हासिल कर ली थी. इससे पहले से ही ममता बनर्जी सरकार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के बीच अनबन की खबरें लगातार आती रही हैं
- 2 मई के नतीजों के ठीक 10 दिन बाद राज्यपाल के अकाउंट से ट्वीट कर एक शेड्यूल जारी किया जाता है.
- राज्यपाल धनखड़ 13 मई को कूचबिहार के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर जा रहे थे और इसी दौरे का शेड्यूल ट्वीट किया गया था.
- राजभवन की तरफ से बताया गया है कि 14 मई को जगदीप धनखड़ असम के उन इलाकों में भी जाएंगे जहां चुनाव के बाद हुई हिंसा से प्रभावित पश्चिम बंगाल के लोग कैंपों में रह रहे हैं.
- इसके तुरंत बाद ममता बनर्जी एक चिट्ठी लिखती हैं कि ये दशकों से चले आ रहे प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. ममता ने राज्यपाल से चले आ रहे नियमों के पालन की 'अपील' की थी.
- जवाब में राज्यपाल की तरफ से फिर लेटर आया जिसमें कहा गया कि वो संविधान की रक्षा के लिए जो भी बेहतर हो सकेगा वो करेंगे.
खतों और बयानबाजी का सिलसिला जारी है
इसके बाद से ही धनखड़ लगातार ममता बनर्जी को चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा पर बोलने और कार्रवाई करने को लेकर ट्वीट और खत लिखते रहे. वहीं ममत बनर्जी और उनकी पार्टी की तरफ से ऐसे आरोप लगे कि राज्यपाल सीधा केंद्र सरकार और बीजेपी से 'आदेश' लेकर राज्य सरकार को निशाने पर लेते हैं.
अभी मंगलवार को ही एक बार फिर राज्यपाल धनखड़ की तरफ से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिक्रिया देने और राज्य प्रशासन और सामान्य रूप से पुलिस में लोगों का विश्वास बहाल करने का आग्रह किया गया था. वहीं राज्य सरकार ने पत्र पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने सचिवालय पहुंचने से पहले ही पत्र को सार्वजनिक कर दिया है.
मंत्रियों से मुलाकात पर टीएमसी को सीपीएम का साथ
अब दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात को लेकर टीएमसी और सीपीएम राज्यपाल की कड़ी आलोचना कर रहे हैं. दोनों ही पार्टियां राज्यपाल पर अपनी संवैधानिक सीमाओं को पार करने का आरोप लगा रही है.
तृणमूल के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, मुझे नहीं पता कि वह क्या कर रहे हैं. वह केंद्रीय मंत्रियों से मिल रहे हैं. वह बीजेपी नेताओं के साथ विभिन्न स्थानों पर जा रहे हैं. वह एक विशाल घर में रहते हैं, जिसे उन्होंने एक पार्टी कार्यालय में बदल दिया है. वह कुछ ऐसा कह रहे हैं, जो उन्हें नहीं कहना चाहिए. रॉय ने सवाल पूछते हुए कहा, उन्हें मुख्यमंत्री बनर्जी की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करना चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं कर रहे हैं. उन्हें इससे आगे कुछ नहीं करना है. संविधान में यह कहां लिखा है कि एक राज्यपाल सब कुछ कर सकता है.
बीजेपी के व्यक्ति जैसी हैं राज्यपाल की गतिविधियां- सीपीएम
वहीं दूसरी ओर, वाम मोर्चा के अध्यक्ष और सीपीएम के दिग्गज नेता बिमान बोस ने कहा, राज्यपाल अपनी संवैधानिक सीमाओं को लांघ रहे हैं. वह उत्तर बंगाल में भी कुछ स्थानों पर गए और बीजेपी नेताओं के साथ गए. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह खुद किसी भी स्थान पर नहीं जा सकते हैं, लेकिन वह केवल बीजेपी नेताओं के साथ ही क्यों जा रहे हैं? वह बीजेपी के व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन उनकी गतिविधियां बीजेपी के व्यक्ति जैसी हैं. हम राज्यपाल से ऐसी उम्मीद नहीं करते.
बता दें कि राज्यपाल बुधवार से दिल्ली के दौरे पर हैं. बुधवार को उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद जोशी और प्रह्लाद सिंह पटेल से मुलाकात की इसके बाद वो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले.
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