हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने के बाद जब यह साफ हो गया कि कोई भी पार्टी अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, तभी अचानक एक नाम चर्चा में आता है. यह नाम है- गोपाल कांडा. फिलहाल कांडा बीजेपी को समर्थन देने को लेकर चर्चा में हैं. यह चर्चा तब शुरू हुई जब वह विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे.
इस चर्चा के बीच देखते ही देखते कांडा का नाम ट्विटर पर भी टॉप ट्रेंड में आ गया. सोशल मीडिया पर कांडा को हरियाणा का नया किंगमेकर तक कहा जा रहा है.
24 अक्टूबर को गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, ‘’हरियाणा लोकहित पार्टी सुप्रीमो गोपाल कांडा 5 विधायकों के साथ बीजेपी का समर्थन करेंगे. ये 5 विधायक गोपाल कांडा के संपर्क में हैं.’’
कौन हैं गोपाल कांडा?
दिसंबर 1965 में जन्मे गोपाल कांडा का अब तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. कांडा के पिता मुरलीधर कांडा एक वकील थे, जिन्हें आईएनएलडी नेता ओम प्रकाश चौटाला का करीबी माना जाता था.
न्यूज वेबसाइट प्रिंट के मुताबिक, कांडा ने जीवनयापन के लिए रेडियो की रिपेयरिंग से लेकर म्यूजिक शॉप चलाने सहित कई तरह के काम किए थे. इसके बाद उन्होंने अपने भाई गोबिंद के साथ चप्पल-जूतों का व्यापार करना शुरू कर दिया.
साल 1998 में कांडा ने रियल एस्टेट के बिजनेस में कदम रखा. कहा जाता है कि साल 1999 में जब ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तभी से कांडा के दिन बदल गए.
रियल एस्टेट की दुनिया में कांडा का साम्राज्य तेजी से फैलने लगा. उन्होंने दूसरे बिजनेस में भी अपनी पहुंच बढ़ानी शुरू कर दी. साल 2005 में कांडा ने एमएलडीआर एयरलाइन्स शुरू की. इसके अलावा कांडा ने होटल, मॉल और ऑफशोर कसीनो का बिजनेस भी शुरू कर दिया.
इस सबके बीच कांडा का नाम विवादों से भी जुड़ना शुरू हो गया. एनडीटीवी के मुताबिक, साल 2007 में केंद्र ने हरियाणा सरकार से कांडा की जांच करने को कहा था, जब वह 4 वॉन्टेड क्रिमिनल्स के साथ अपनी कार में पकड़े गए.
साल 2009 के विधानसभा चुनाव में कांडा आईएनएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. हालांकि जब उन्हें आईएनएलडी से टिकट नहीं मिला तो वह सिरसा से एक निर्दलीय के तौर पर लड़े. इस चुनाव में उन्होंने आईएनएलडी उम्मीदवार पदम जैन को हराया था. इसके बाद उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन दिया था. इस सरकार में कांडा कैबिनेट मंत्री बने थे.
जब गीतिका सुसाइड मामले में आया कांडा का नाम
साल 2012 में गीतिका शर्मा मामले में आने के बाद गोपाल कांडा की मुश्किलें काफी बढ़ गईं. गीतिका शर्मा एक एयर होस्टेस थीं, जो कांडा की एमएलडीआर एअरलाइन्स में काम करती थी. 5 अगस्त 2012 को वह उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के अशोक विहार स्थित अपने घर में मृत मिली थीं. उन्होंने 4 अगस्त की तारीख वाले सुसाइड नोट में लिखा था कि वह कांडा और उनकी कर्मचारी अरुणा चड्ढा द्वारा किए जा रहे ‘‘उत्पीड़न’’ की वजह से अपनी जान दे रही हैं.
गीतिका की सुसाइड के बाद कांडा अंडरग्राउंड हो गए, हालांकि उन्होंने 18 अगस्त, 2012 को उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार थाने में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
गीतिका शर्मा की सुसाइड के छह महीने बाद उनकी मां ने भी सुसाइड कर ली थी. उन्होंने भी अपने सुसाइड नोट में कथित तौर पर कांडा का नाम लिया था.
कांडा को मार्च 2014 को जमानत मिल गई थी. गीतिका केस में नाम आने के बाद कांडा ने हुड्डा सरकार से इस्तीफा दे दिया था. मई 2014 में उन्होंने हरियाणा लोकहित पार्टी लॉन्च की थी. इस बार उन्होंने इसी पार्टी के चुनाव चिह्न पर सिरसा विधानसभा सीट पर निर्दलीय गोकुल सेतिया को 602 वोटों से हराया है.
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