आदित्य ठाकरे मुंबई के वर्ली से विधानसभा चुनाव में उतरेंगे. ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के चिराग आदित्य ठाकरे चुनावी राजनीति में उतरने वाले पहले शख्स होंगे. मुंबई के बांद्रा इलाके में रहने वाले आदित्य बांद्रा से नहीं, वर्ली विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि वर्ली ही क्यों?
ये हैं 5 कारण, जिसकी वजह से आदित्य ने वर्ली से चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
1. वर्ली शिवसेना का गढ़
वर्ली विधानसभा में शिवसेना का काडर सबसे मजबूत समझा जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी 6 पार्षद शिवसेना के हैं. इसलिए आदित्य के लिए यहां से जीतना आसान है.
2. लोकसभा चुनाव में थी अच्छी लीड
लोकसभा चुनाव में यहां से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस के मिलिंद देवड़ा को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. लेकिन इसमें खास बात ये है कि वर्ली विधानसभा में अरविंद सावंत को 38 हजार की लीड मिली थी.
3. वर्ली से मौजूदा विधायक शिवसेना के ही
शिवसेना के सुनील शिंदे फिलहाल वर्ली विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे को 60625 वोट मिले थे. उन्होंने NCP के नेता और पूर्व मंत्री सचिन अहीर को 23 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी थी. सचिन अहीर कुछ दिनों पहले ही शिवसेना में शामिल हो चुके हैं. इसने वर्ली की लड़ाई आदित्य के लिए और आसान बना दी है.
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4. मराठियों और इलीट क्लास से वोटों की उम्मीद
वर्ली विधानसभा सीट की बात करें तो यहां मराठी समाज के साथ दूसरे समाज के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं. कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनी के दफ्तर भी इस इलाके में आते हैं. आदित्य की छवि जिस तरह की रही है, इलीट क्लास के साथ मराठी लोगों से आदित्य कनेक्ट हो सकते हैं. इसलिए इस विधानसभा सीट से आदित्य को चुनाव लड़ाया जा रहा है.
5. बांद्रा ईस्ट सीट में मुस्लिम वोटरों की तादाद ज्यादा
बांद्रा ईस्ट, जहां शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे रहते हैं, उस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम समाज की आबादी बड़ी संख्या में है. ये शिवसेना की जीत की राह में रोड़ा बन सकता है. इसलिए आदित्य ठाकरे अगर इस सीट से चुनावी मैदान में उतरते, तो शायद उनके लिए ये चुनाव वर्ली की तरह आसान नहीं रहता. हालांकि, बांद्रा ईस्ट विधानसभा सीट अभी शिवसेना के पास ही है.
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