आरएसएस मुगल सम्राट औरगंजेब के भाई दारा शिकोह में अपना नया आइकन तलाश रहा है. आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. गोपाल कृष्ण गोपाल ने 11 सितंबर को यह कह कर एक नई बहस छेड़ दी कि औरंगजेब की जगह दारा शिकोह मुगल सम्राट बनता तो इस्लाम देश में और फलता-फूलता.
संघ की नजर में दारा शिकोह एक ‘आदर्श’ मुसलमान
आखिर संघ दारा शिकोह को एक सच्चे मुसलमान की तरह पेश करना क्यों चाहता है? क्यों संघ उसे एक 'आदर्श' मुसलमान बता रहा है. दरअसल दारा शिकोह का रुझान हिंदू धर्म की ओर था और वह इसके दर्शन को अच्छी तरह समझना चाहता था. इसके साथ ही दारा इस्लाम सूफी परंपरा का भी कायल था. उसने इस्लाम और वेदांत के एकीकरण की दिशा में काफी काम किया था. उसने उपनिषदों का अनुवाद किया था.
संघ दारा शिकोह की इस छवि को भुनाना चाहता है. वह देश के मुसलमानों में दारा को एक ऐसे मुगल शहजादे के तौर पर पेश करना चाहता है जो उसके भाई औरंगजेब की कट्टर छवि के उलट है. एक तरह से संघ यह संदेश देना चाहता है कि देश के मुसलमानों को दारा शिकोह की तरह होना चाहिए ,जो हिंदू दर्शन के प्रति उदार भाव रखे. संघ चाहता है कि देश के मुस्लिम खुद को दारा शिकोह की विचार और परंपरा से जोड़ें.
कौन था दारा शिकोह
दारा शिकोह शाहजहां और मुमताज महल का सबसे बड़ा बेटा था. शाहजहां दारा को पसंद करते थे और उसे गद्दी देना चाहते थे. हालांकि गद्दी की लड़ाई में उसका भाई औरंगजेब भाई पड़ा. औरंगजेब ने दारा समेत अपने सभी भाइयों को मरवा दिया था. औरंगजेब में इस्लाम को लेकर एक कट्टरता थी. लेकिन दारा शिकोह सूफी परंपरा और हिंदुत्व की ओर झुकाव रखता था. सत्ता संघर्ष में औरगंजेब जीत गया और उसने दारा को कैद कर लिया. इस पर काफिर होने का इल्जाम लगाया और उसकी हत्या कर दी गई. दारा अध्यात्म और सर्वधर्म समभाव का मुरीद था. जनता औरंजेब की तुलना में उसे ज्यादा पसंद करती थी.
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