योगी आदित्यनाथ आपको सफेद कमीज में कब दिखे थे?...अच्छा...किसी और रंग की कमीज में?..याद नहीं आता? हमको भी नहीं. वैसे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस रंग के कपड़े पहनते हैं ये उनका निजी मामला हो सकता है. लेकिन जब उनकी निजी पसंद देश के सबसे बड़े सूबे में, सबसे बड़े स्तर पर, सबसे अजीब आदत बन जाए तो ठहर कर समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर यूपी में...ये चल क्या रहा है. और दिल कहता है--- न रंग तू यूपी गेरुआ!
हे भगवा...न!
उत्तर प्रदेश में इन दिनों सब कुछ भगवा रंग में रंगा जा रहा है. इस सिलसिले की ताजा कड़ी है- मुख्यमंत्री सचिवालय. लखनऊ की वो इमारत जहां खुद मुख्यमंत्री बैठते हैं. जो उनका दफ्तर है. कभी सफेद और हल्की नीली रही दीवारों पर भगवा रंग चढ़ने लगा है. इसे देख कर कुछ लोगों के चेहरों का रंग उतरता हो तो उतरता रहे, योगी कहां पीछे हटने वाले हैं.
ज्यादा दिन नहीं हुए जब सीएम योगी ने ‘भगवा’ रंग की कुछ बसों को ‘हरे’ रंग की झंडी दिखा कर रवाना किया था. सियासत को परंपराओं और नियमों में क्या बांधना. हरी की जगह 'भगवा' झंडी दिखा दी जाती तो भी 'भगवा' बस के भीतर बैठे ड्राइवर को तो एक्सीलरेटर दबाना ही था.
रंगों में ‘घुल्लमघुल्ला’ राजनीति
राजनीति में रंग और रंगों में राजनीति 'घुल्लमघुल्ला' चलते हैं. और खुल्लमखुल्ला भी. योगी, भगवा पोशाक पहनते हैं. माफ कीजिए, भगवा वस्त्र! भगवा, देश के सबसे बड़े सूबे में सत्ताधारी दल से जोड़कर देखा जाता है. जब हर ओर भगवा नजर आने लगे, जब सड़क से मंच तक बाकी रंग गायब होने लगें तो समझिए कि रंगों के बहाने राजनीति की इबारत नए सिरे से लिखी जा रही है. या शायद थोपी जा रही है.
उत्तर प्रदेश उन सूबों में शुमार है जो एक ‘चित्रशाला’ की तरह बन कर रह गए हैं. सरकारें जब सत्ता में आती हैं तो अपनी एक कूची साथ लेकर आती हैं. यही कूची दफ्तरों से लेकर वाहनों तक, होर्डिंग से लेकर दीवारों तक घुमा दी जाती है. योगी आदित्यनाथ भी जब 7 महीने पहले यूपी की सत्ता पर काबिज हुए तो अपनी भगवा कूची साथ लेकर आए. अब वो इस कूची को हर ओर घुमाने में लगे हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग की वेबसाइट पर फॉन्ट पढ़ने में आ रहा है या नहीं, किसे परवाह है. रंग भगवा हो, बस यही काफी है. कभी वक्त मिले तो योगीजी के ट्विटर हैंडल पर घूम आइएगा. यहां भी आपको भगवा की छींट मिल जाएगी. सूचना विभाग की बुकलेट भी भगवा हो ही चुकी है. प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को जो बैग बांटे गए वो भी सीएम के इस चहेते रंग में रंगे थे.
वैसे यूपी में कई जगह कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों से लेकर सब्जी के ठेले तक भगवा रंग में रंग रहे हैं. खबरें तो इस बात की भी हैं कि अनअथॉराइज्ड कॉलोनियों में नए बिजली कनेक्शन के लिए लगने वाले खंभे भी भगवा रंग में रंगे होंगे.
इस साल मई में जब योगी, शहीद बीएसएफ हेड कॉन्स्टेबल प्रेम सागर के परिवार से मिलने पहुंचे तो वहां भी अधिकारियों ने भगवा रंग में रंगे सोफा, कुर्सी, टेबल लगवा दिए.
यूपी में माहौल कुछ-कुछ ‘फिजा केसरी’ हो चुका है
सरकार के 100 दिन पूरा होने के मौके पर योगी बनारस पहुंचे तो उनके लिए सर्किट हाउस केसरिया हो गया. क्या आप जानते हैं कि योगी की कार का इंटीरियर भगवा रंग में रंगा है. योगी जिन कुर्सियों पर बैठते हैं, उसके पीछे भगवा तौलिया लगाया जाता है. सीएम ऑफिस में पर्दे तक हल्के भगवा रंग में रंगे हैं. मुख्यमंत्री योगी जिन मंचों पर खड़े होते हैं वो भगवा, पंडाल भगवा, सरकारी कार्यक्रमों में फूलों की सजावट भगवा. उत्तर प्रदेश में हर गुजरते दिन के साथ 'रंगरसिया' का नया एडिशन लॉन्च हो रहा है. कोई है जो पूरे घर के...मतलब...पूरे राज्य के बदलने पर उतारु है.
अब तो हालात उस मोड़ पर पहुंच चुके हैं जहां सिर्फ योगी और उनके मंत्री ही क्यों, बाकी लोग भी सरकार को खुश करने में अपनी कोशिशें कर रहे हैं. कानपुर में जब टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के क्रिकेटरों का स्वागत भगवा गमछे से किया जाता है.
बीते 25 सालों में 'जुबां केसरी' हुई या नहीं...मालूम नहीं पर इतना मालूम है कि बीते 7 महीनों में 'फिजा केसरी' जरूर हो चुकी है.
कहने वाले कहते हैं कि जिंदगी में रंग बिखरे हों तो अच्छा लगता है. रंग एक ही हो तो जिंदगी बदरंग होने लगती है. योगीजी, आप से गुजारिश है...भगवा के इतर भी रंग हैं. वो सुहावने हैं. वो काटते नहीं हैं. उन्हें महसूस कीजिए कभी. अच्छा लगेगा. ताजमहल की याद दिलाना मकसद बिल्कुल नहीं था पर यकीन मानिए दुनिया में कोई भी भगवा संगमरमर से बने ताज की कल्पना नहीं करता!!
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