उक्रेइंस्का प्रावडा की रिपोर्ट के अनुसार, जब जेलेंस्की से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि पुतिन के साथ बातचीत करने में विफलता की स्थिति में तीसरे विश्व युद्ध के जोखिम के बारे में बोलना से उनका क्या मतलब है, तो जेलेंस्की ने कहा, इसका मतलब है कि वह (पुतिन) इस युद्ध को समाप्त नहीं करने जा रहे हैं। उनकी योजना - जिसमें यूक्रेन को अंतिम परिणाम के लिए एक मध्यवर्ती कदम के रूप में माना जाता है - बाल्टिक राष्ट्रों पर कब्जा करना है, जो सोवियत संघ का हिस्सा थे। (वह विचार कर रहे हैं) अन्य राष्ट्र, जो सोवियत सेना और सोवियत संघ के नियंत्रण में हुआ करते थे।
उन्होंने कहा, मैं कह रहा हूं कि अगर उनके साथ हमारी बातचीत विफल हो जाती है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि उन्होंने गलती से ऐसी शर्तें नहीं रखीं हैं, जिन पर हम सहमत नहीं हो सकते हैं। इसलिए वह बाद में कह सकते हैं: वे शांति नहीं चाहते हैं। जैसे ही इसका उपयोग होगा - अगर वह करते हैं - यूरोप या नाटो के साथ सीमाओं पर उनकी सारी सेना होगी और फिर तीसरा विश्व युद्ध होगा।
इससे पहले, 20 मार्च को सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में, जेलेंस्की ने कहा था कि यूक्रेन अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि रूस के साथ बातचीत के सभी प्रयास विफल हो जाते हैं, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जाएगा।
--आईएएनएस
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