ADVERTISEMENTREMOVE AD

JNU में उपद्रवियों का हुड़दंग, पुलिस बनी रही मूक दर्शक 

JNU में उपद्रवियों का हुड़दंग, पुलिस बनी रही मूक दर्शक

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेएनयू में झड़प की खबर मिलने के बाद मैं मुनरिका स्थित अपने घर से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दोस्त को देखने के लिए रात करीब सवा आठ बजे वहां गई। जेएनयू में मारपीट और तनाव की सूचना मिल रही थी। मैंने अपने मित्र की खैरियत जानने के लिए उसे फोन किया था लेकिन उससे बात नहीं हो पाई। मेरा घर जेएनयू के करीब मुनिरका में ही है, इसलिए उसका हालचाल जानने के लिए मैं खुद विश्वविद्यालय जा रही थी। =

मैंने बेरिकेड का फोटो खींचेने के लिए अपना फोन निकाला और जैसे ही फोटो खींचने के लिए फोन ऊपर किया, वैसे ही 40-50 लोग आ गए और मुझसे फोटो लेने का कारण पूछने लगे। मैंने उन्हें बताया कि मैं मीडिया से हूं तो उन्होंने मेरा पहचान पत्र मांगा जब मैंने उन्हें अपना आई कार्ड दिखाया तो इसके बाद इन उपद्रवियों ने मुझसे कहा, ‘‘ देश द्रोहियों भाग जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे।’’ उन्होंने मुझे एक लात भी मारी।

इसके बाद मैं अपने घर की ओर जाने लगी, तो ये उपद्रवी मेरे पीछे पीछे आने लगे। वहां खड़े दिल्ली पुलिस के कर्मियों से मैंने शिकायत की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। पुलिस कर्मियों की वर्दी पर नाम की पट्टी नहीं लगी थी।

पुलिस कुछ नहीं कर रही थी और पूरी स्थिति पर उपद्रवियों का कब्जा था और वे लोगों से आईकार्ड मांग रहे थे। उपद्रवी ‘वंदे मातरम’, ‘भारत माता की जय’ और देश के गद्दारों को गोली मारों सालो को’ के नारे लगा रहे थे।

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव आ गए। जब यादव जेएनयू के मुख्य द्वार की ओर जा रहे थे तब एबीवीपी वालों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘ मैं शांति से आया हूं और पुलिस से बात करूंगा।’’

जैसे ही वह पुलिस से बात करने के लिए गए तो पुलिस ने उनका हाथ पकड़कर खींचा और कहा कि यहां हालात तनावपूर्ण हैं। इसी बीच एक दम से 40-50 लोग आ गए और उनके साथ धक्का-मुक्की करने लगे और उन्हें जमीन पर गिरा दिया और वे पुलिस की मदद से किसी तरह से उठे।

इसके बाद यादव मीडिया से बात कर रहे थे। तभी फिर से लड़के आ गए और उनके साथ धक्का-मुक्की की।

मुनिरका की तरफ से जो लोग आ रहे थे, उसने पूछा जा रहा था कि वे कौन हैं और क्यों आ रहे हैं। कई लोगों के साथ इन उपद्रवियों ने बदसलूकी की।

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×