2002 गुजरात दंगो से संबंधित हाईकोर्ट के एक फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण या मरम्मत के लिए पैसे खर्च नहीं कर सकती.
गुजरात हाईकोर्ट ने 2012 में एक आदेश के जरिए सरकार को धार्मिक स्थलों को हुए नुकसान को पूरा करने का निर्देश दिया था.
गुजरात सरकार ने कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 27 का हवाला दिया. आर्टिकल 27 के मुताबिक टैक्सपेयर्स को यह अधिकार दिया गया है, कि उनसे किसी धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स नहीं लिया जा सकेगा. लेकिन गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को टैक्सपेयर्स से लिया गया पैसा धार्मिक स्थलों के निर्माण पर खर्च करना पड़ता.
मुआवजे की मांग इस्लामिक रिलीफ सेंटर की ओर से की जा रही थी. उन्होंने दलील दी थी कि धार्मिक स्थानों का नुकसान सरकार की गलती से हुआ था.
कोर्ट ने कहा अगर सरकार चाहे तो धार्मिक स्थल को महज एक इमारत मानकर मरम्मत या निर्माण में मदद कर सकती है.
गुजरात सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा कि सरकार ने तय किया है कि वे किसी भी धार्मिक स्थल को मुआवजा नहीं देंगे. गुजरात में धार्मिक स्थलों को नुकसान होने की दशा में मुआवजे का कोई कानून भी नहीं है.
...लेकिन हज सब्सिडी को ठहराया गया था सही
सुप्रीम कोर्ट ने प्रफुल्ल गोरड़िया केस में हज सब्सिडी को सही ठहराया था. ताजा मामले में कोर्ट का कहना था कि आर्टिकल 27 केंद्र या राज्य को धार्मिक स्थलों की मदद के लिए कानून बनाने से नहीं रोकता.
कानून बनाकर इस तरह के धार्मिक स्थलों की मदद की जा सकती है. फिलहाल गुजरात में धर्म स्थलों की इमारतों की मरम्मत से संबंधित कोई कानून नहीं है.
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