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अबू सलेम की जमीन पर अवैध कब्जे का केस, पुलिस ने कहा- मामला फर्जी

अबू सलेम ने आजमगढ़ में अपनी जमीन को ‘अवैध कब्जे’ से खाली करने के लिए पुलिस से फरियाद की है.

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कभी मुंबई में आतंक का पर्याय रहे माफिया सरगना अबू सलेम ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में अपनी जमीन को ‘अवैध कब्जे' से खाली करने के लिए पुलिस से फरियाद की है. पुलिस ने उसके आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे बदला लेने का कदम करार दिया है.

इस वक्त मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल में बंद आजमगढ़ के सरायमीर कस्बा स्थित पठान टोला मुहल्ले के मूल निवासी सलेम और उसके भाई अब्दुल कय्यूम अंसारी ने हाल में सरायमीर थाने में तहरीर देकर आरोप लगाया है कि उसकी 160 हेक्टेयर जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा करके वहां निर्माण कार्य शुरू कर दिया है.

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हालांकि आजमगढ़ पुलिस ने अबू सलेम के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि सलेम के भाई अबू हाकिम की दूसरे पक्ष के लोगों से कुछ महीने पहले अनबन हो गई थी. इसी का बदला लेने के लिए सलेम ने इल्जाम लगाए हैं.

क्या है सलेम का आरोप?

थाने में दिए गए तहरीर में सलेम ने कहा है कि सरायमीर कस्बे में आरजी संख्या 738/02 की 160 हेक्टेयर की रजिस्टर्ड जमीन उसके और उसके भाइयों के नाम दर्ज थी. उसके परिजन ने 30 मार्च 2013 को तहसील कार्यालय में जमीन के नक्शे और मालिकाना हक के बारे में पता लगाया था, तो उसमें सलेम और उसके भाइयों का नाम दर्ज था. मगर पिछले साल 6 नवम्बर को जब इस बारे में पता लगाया गया तो में मोहम्मद नफीस, मोहम्मद शौकत, सरवरी, मोहिउद्दीन, अखलाक, अखलाक खां और नदीम अख्तर का नाम दर्ज था.

सलेम ने दरख्वास्त में कहा है कि साल 2002 में एक मुकदमे के सिलसिले में पुर्तगाल से भारत में प्रत्यर्पण के बाद से वो लगातार जेल में है. इस दौरान उसने या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने किसी के नाम उस जमीन का कोई बैनामा नहीं किया. इससे जाहिर है कि आरोपियों ने तहसील कार्यालय के कुछ अधिकारियों के साथ साठगांठ करके उस जमीन पर कब्जा कर लिया है और उस पर अवैध निर्माण भी शुरू कर दिया है. ऐसे में मामले की रिपोर्ट दर्ज की जाए.

दूसरे पक्ष ने दी ये सफाई

इस बीच, दूसरे पक्ष के मोहम्मद नफीस का कहना है कि उन्होंने साल 2000 में उस जमीन का बैनामा कराया था, जिसमें खुद सलेम के बड़े भाई अबू हाकिम गवाह थे. उनका सवाल है अगर वो उनकी जमीन हड़पते, तो हाकिम गवाही क्यों देते? उस जमीन पर 2001 में निर्माण कार्य कराया गया था. उस पर दुकान भी थी. नफीस ने कहा कि आरजी संख्या 738/02 पर कई भूखण्ड थे और सभी कब्जेदार अपनी-अपनी जमीन पर काबिज हैं. उनका कहना है कि जिस जमीन पर कब्जे की बात की जा रही है वह उनके जमीन के बगल में मौजूद है, उस पर सलेम पक्ष ने निर्माण कार्य करा रखा है.

बहरहाल, नफीस ने सम्बन्धित दस्तावेज मंगलवार को पुलिस को जांच के लिए दे दिए हैं.

सलेम के भाई अबू हाकिम ने बताया, ‘’सरायमीर कस्बे में हम सभी भाइयों की पुश्तैनी जमीन है. नफीस ने हमारी पूरी 160 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है. वो अपनी जमीन की पैमाइश करके उसे अलग करे और उसी पर काबिज रहे.’’ 

इस सवाल पर कि उन्होंने खुद नफीस के बैनामे में गवाही क्यों दी, हाकिम ने कहा कि उन्होंने बगल वाली जमीन पर नफीस की रजिस्ट्री में गवाही दी थी.

पुलिस ने आरोपों को नकारा

इस बीच, अपर पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) नरेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि सलेम की तहरीर सरायमीर थाने को मिली है, उसमें जो आरोप लगाए गए हैं, वे बिल्कुल बेबुनियाद हैं. जिस जमीन पर कब्जे की बात कही गई है, उसे नफीस और शौकत ने साल 2000 में बैनामा कराया था.

उन्होंने कहा कि छानबीन के दौरान यह बात सामने आई है कि नफीस और शौकत से डॉन के भाई अबू हाकिम की कुछ महीने पहले अनबन हो गई थी. इसी का बदला लेने के लिए सलेम ने उन पर आरोप लगाए हैं.

(इनपुट: भाषा)

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