उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूख, कुपोषण, बेगारी के साथ आर्थिक तंगी और कर्ज से होने वाली किसानों, गरीबों की मौतों पर कड़ा रुख अपनाया है. सरकार ने मौतों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करते हुए अब ग्राम प्रधान और सचिव के साथ बीडीओ को भी इसकी जिम्मेदारी दी है.
पहले इसके लिए सिर्फ कमिश्नर, डीएम और तहसील के अफसर जिम्मेदार होते थे. इस पर अपर मुख्य सचिव चंचल कुमार तिवारी ने प्रदेश भर के अफसरों को आदेश जारी किया है.
अफसरों को जांच का आदेश
योगी सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि अगर भुखमरी, कुपोषण, आर्थिक तंगी और कर्ज से उबकर कोई भी व्यक्ति, किसान आत्महत्या करता है या उस तरह की कोशिश करता है, तो इसके लिए सीधे जिले और मंडल के आला अफसरों के साथ गांव के प्रधान और सचिव जवाबदेह होंगे. क्योंकि गांव में इस तरह के व्यक्तियों की सूचना ग्रामप्रधान और सचिव के पास उपलब्ध रहती है.
अफसरों को जांच का आदेश दिया गया है. ये भी कहा गया है कि इस तरह के लोगों की पूरी पड़ताल कर उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.
अपर मुख्य सचिव की तरफ से जारी आदेश में कहा गया कि ये सरकार की प्राथमिकता में है. गांव में आर्थिक रूप से कमजोर, बेगार, कुपोषित किसान, युवा और गरीब के पास राशन की सुलभता होनी चाहिए. इस तरह के लोगों को चिन्हित कर सचिव और ग्रामप्रधान राशनकार्ड की सुविधा उपलब्ध कराए.
आदेश के मुताबिक, इस मामले में लापरवाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि ग्राम प्रधानों के पास एडवांस धनराशि के रूप में 4000 रुपये की सुविधा उपलब्ध होती है. इसके अलावा आकस्मिक राशि रखने की सुविधा भी अब सरकार ने 1000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये तक कर दिए हैं.
ग्राम पंचायत मद में इस तरह की सुविधाएं इसीलिए होती हैं कि वक्त पर लोगों की मदद की जाए. इस राशि का इस्तेमाल कर इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है. भरण-पोषण, बेगारी, आर्थिक तंगी से लोगों को निजात दिलाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है.
(-इनपुट IANS से)
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