दिल्ली के लाखों वाहन चालक दो विभागों के बीच छिड़ी नाक की बेतुकी लड़ाई में अब तक पिस रहे थे. पीडब्ल्यूडी और दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के बीच महीनों से चल रही धींगामुश्ती का खामियाजा दिल्ली की सड़कों पर चल रहे वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा था. इन दोनों महकमों के अड़ियल रवैये के चलते ही वाहन चालकों की जेब भी खूब ढीली हो रही थी. मूछ की इस लड़ाई में वाहन चालकों के हित में और उनके कड़े विरोध के मद्देनजर आखिरकार पांव दिल्ली पुलिस को ही पीछे खींचने पड़े हैं.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस अब करीब डेढ़ लाख चालान वापस ले रही है. ये सभी चालान तय किए गए गति सीमा से ज्यादा स्पीड में नेशनल हाइवे-24 पर दौड़ने वाले वाहनों से संबंधित हैं.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में डिप्टी कमिश्नर स्तर के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया-
“करीब डेढ़ लाख चालानों को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस वापस ले रही है. ये चालान करीब ढाई महीने (अगस्त से अक्टूबर 10 तक) के भीतर काटे गए हैं. इन चालानों में ज्यादातार चालान निर्धारित गति सीमा से ज्यादा स्पीड (60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ज्यादा) में वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग पर दौड़ाने से संबंधित हैं.”
दिल्ली पुलिस के ही एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, "दरअसल, वापस लिए जाने वाले ये चालान राष्ट्रीय राजमार्ग- 24 (अब 9) पर निजामुद्दीन पुल से गाजीपुर स्थित दिल्ली यूपी (गाजियाबाद) बॉर्डर पर आते-जाते वाहनों के काटे गए हैं. इनमें से ज्यादातर चालान ओवर-स्पीडिंग के हैं."
क्यों वापस लिए जा रहे चालान?
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को आखिर इन चालानों को वापस लेने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा, ये एक अहम सवाल है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "दरअसल तय की गई स्पीड से ऊपर यानी 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ऊपर जो वाहन हाईवे पर हमारे कैमरों ने पकड़े, उन सबको ई-चालान भेजे जा रहे थे. बाद में शिकायतें आनी शुरू हुईं कि हाईवे पर पीडब्ल्यूडी विभाग ने निर्धारित गति सीमा 70 किलोमीटर प्रति घंटा के साइन बोर्ड लगा रखे हैं."
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के इसी आला-अफसर के मुताबिक, "ट्रैफिक पुलिस काफी समय से पीडब्ल्यूडी से कह रही थी कि वह साइनबोर्ड बदल दे. मतलब अधिकतम 70 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड वाले पहले से लगे हुए साइन बोर्ड बदलकर, निर्धारित गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा कर दे. काफी कोशिशों के बाद भी जब साइन बोर्ड नहीं बदले गए, तो जनहित में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ही करीब डेढ़ लाख चालान वापस लेने की योजना बनाई. साथ ही दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के उन कैमरों में भी अब 70 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति सीमा फीड कर दी गई है, जो नेशनल हाइवे पर आने-जाने वाले वाहनों की गति दर्ज करते हैं."
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मगर सवाल यह उठता है कि अब तक जो लोग करोड़ों रुपये के ‘ऑनलाइन’ चालान की रकम दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के जरिए दिल्ली सरकार को जमा कर चुके हैं, उसकी वापसी कैसे होगी? दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के किसी भी आला-अफसर के पास इस सवाल का माकूल जबाब नहीं है.
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने आनन-फानन में लिया फैसला?
दूसरी ओर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा उठाए गए इस अनोखे कदम के बारे में सूत्र बताते हैं कि, "अचानक डेढ़ लाख चालान वापस लेने का फैसला दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यूं ही नहीं लिया है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को कहीं से भनक लग चुकी थी कि यह मुद्दा कुछ वाहन चालक जनहित याचिका के रूप में हाई कोर्ट के सामने लेकर पहुंचने की तैयारी में हैं. जैसे ही कानूनी रूप से खुद की गर्दन फंसती नजर आई, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को आनन-फानन में जनहित का ख्याल आ गया. नतीजतन, उसने वक्त गंवाए बिना डेढ़ लाख चालान वापस लेने का फैसला ले लिया. अगर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की इस बे-सिर-पैर की कमाने के कथित जुगाड़ में पीडब्ल्यूडी ने भी साथ दे दिया होता, तो बेकसूर वाहन चालक न मालूम कब तक दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का करा-धरा भरते रहते!"
बता दें कि लाल बत्ती जंप करने वालों और वाहन गति सीमा कानून की धज्जियां उड़ाने वालों से निपटने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने हाल ही में करीब 24 नए कैमरे राष्ट्रीय राजधानी में लगाए हैं. ये कैमरे जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, आईएसबीटी, नेलसन मंडेला मार्ग, अगस्त क्रांति मार्ग, भलस्वा-वजीराबाद रोड, दिल्ली-नोएडा-दिल्ली फ्लाईवे, जीटी करनाल रोड पर लगाए गए हैं.
दूसरी ओर, आंकड़े बताते हैं कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने जबसे (2017 से) ई-चालान ऐप डेवलप कराया है, तब से इसे 17 राज्य अमल में ला रहे हैं. एनआईसी द्वारा डेवलप किए गए इस ई-चालान ऐप के जरिए देश में करीब दो हजार तीन सौ करोड़ रुपये का राजस्व सिर्फ यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों से ही वसूला/जमा करवाया जा चुका है.
(इनपुट: IANS)
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