बिहार की कई नदियां उफान पर हैं और कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाढ़ का पानी नए इलाकों में प्रवेश कर रहा है, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है. निचले इलाकों में पानी पहुंचने के बाद लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. राज्य में बाढ़ से अब तक आठ जिलों की चार लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है.
बिहार जल संसाधन विभाग के बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को बागमती नदी अपने रौद्र रूप में है. बागमती सीतामढ़ी के ढेंग, सोनाखान, डूबाधार, चंदौली, कटौंझा और मुजफ्फरपुर के बेनीबाद और दरभंगा के हायाघाट में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी गंडक मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर, समस्तीपुर के रोसरा रेल पुल के पास खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
कोसी का जलस्तर वीरपुर बैराज के पास बुधवार को सुबह छह बजे 2.38 लाख क्यूसेक था, जो आठ बजे 2.12 लाख क्यूसेक हो गया. गंडक नदी का जलस्राव बाल्मीकिनगर बैराज के पास सुबह आठ बजे 3.24 लाख क्यूसेक बना हुआ है. गंडक में जलस्तर में वृद्धि होने के बाद कई नए क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है. उन्होंने बताया कि नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के आठ जिले सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण के कुल 34 प्रखंडों की 217 पंचायतों के 4.13 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. बाढ़ में फंसे लोगों के राहत और बचाव का कार्य जारी है.
सुपौल में दो और गोपालगंज में तीन राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जहां कुल 1,075 लोग रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित अलग-अलग इलाकों में कुल 46 कम्युनिटी किचन चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन 36,293 लोग खाना खा रहे हैं . साथ ही, आपदा प्रबंधन विभाग सम्पूर्ण स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहा है.
(इनपुट IANS से)
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