ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोरखपुर: 'पार्षद से इंजीनियर तक का कमीशन तय', ठेकेदार संघ अध्यक्ष का बड़ा आरोप

गोरखपुर नगर निगम के मेयर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं.

Published
राज्य
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) नगर निगम से जुड़ी एक चिट्ठी इन दिनों तेजी से वायरल हो रही है. 8 सितंबर 2023 को लिखे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम के पार्षद और अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और बिना कमीशन दिए ठेकेदारों को काम करने नहीं दे रहे हैं. यह वायरल चिट्ठी गोरखपुर नगर निगम कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वेद प्रकाश मिश्रा ने नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल को लिखी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कमीशन खोरी का आरोप

इस पत्र के वायरल होने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है और चर्चाओं का बाजार शुरू हो गया है. पत्र में बताया गया है कि पार्षद 10 प्रतिशत, अवर अभियंता 5 प्रतिशत, सहायक अभियंता 2 प्रतिशत, अधिशासी अभियंता 2 प्रतिशत और मुख्य अभियंता 1.5% कमीशन लेते हैं.

गोरखपुर नगर निगम के मेयर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं.

इस बारे में द क्विंट से बात करते हुए नगर निगम कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया की सभी ठेकेदार इस भ्रष्टाचार से लंबे समय से त्रस्त हैं. बिना कमीशन दिए बिल पास नहीं किया जाता है. नए पार्षद जितने हैं वह अधिक कमीशन मांगते हैं, इसलिए काम करना मुश्किल हो गया है.

इस बारे में नगर आयुक्त से शिकायत की गई है. समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि उन्होंने जांच के आदेश दिए हैं.

आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि अगर भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे आमरण अनशन करेंगे.

आपको बता दें की वर्तमान में नगर निगम गोरखपुर के मेयर डॉक्टर मंगलेश श्रीवास्तव हैं, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं. इस मामले में अभी तक उनका कोई बयान सामने नहीं आया है.

0

मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित

वहीं भ्रष्टाचार का शिकायत पत्र वायरल होने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है. नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया की मामले की जांच के लिए 3 सदस्य की कमिटी बनाई गई है जो 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी. जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही शिकायत करने वाले ठेकेदार के ऊपर भी आरोप लगे हैं उनकी भी जांच की जा रही है.

पत्र वायरल होने के बाद पार्षदों ने भी वेद प्रकाश मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आरोप लगाया है की किसी भी तरह का कोई भ्रष्टाचार का मामला नहीं है यह सिर्फ उनके छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.

फिलहाल मामले की जांच जारी है. लेकिन वायरल चिट्ठी गोरखपुर नगर निगम में चर्चा का विषय बना हुआ है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×