कर्नाटक उपचुनाव में JDS ने काफी खराब प्रदर्शन किया है. JDS ने पांच दिसंबर को हुए उपचुनाव में कुल 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पाई.
जेडीएस ने गठबंधन के अपने पूर्व साथी कांग्रेस से अलग होकर खुद के दम पर एक दर्जन सीट पर सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था. जेडीएस ने कर्नाटक की होसकोटे, अठानी और येल्लापुर सीट से अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे.
जेडीएस के महासचिव रमेश बाबू ने कहा, "निर्दलीय उम्मीदवार शरत कुमार बचेगौड़ा को होसकोटे सीट से अपना उम्मीदवार नहीं बनाकर हमने उन्हें समर्थन किया था. वह कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद निर्दलीय चुनाव लड़ा."
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में 36 सीटें जीतने वाली जेडीएस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 12 साल बाद सत्ता हासिल की थी और एचडी कुमारस्वामी दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.
14 माह चली कांग्रेस-जेडीएस सरकार
कांग्रेस के 14 और जेडीएस के तीन बागी विधायकों का इस साल जुलाई में इस्तीफे की वजह से 14 माह पुरानी उनकी सरकार 23 जुलाई को गिर गई थी. कुमारस्वामी 225 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे.
वहीं लोकसभा चुनाव में जेडीएस सिर्फ एक सीट-हासन पर जीत दर्ज कर पाई थी. जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और अपने सात उम्मीदवार खड़े किए थे.
हार के बाद सिद्धारमैया ने सोनिया को भेजा इस्तीफा
कर्नाटक उपचुनाव में कांग्रेस ने भी कोई प्रदर्शन नहीं किया है. कांग्रेस को महज 2 सीटें हासिल हुई हैं. ऐसे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर सिद्धारमैया ने सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा है.
अपने इस्तीफे में हार की जिम्मेदारी लेते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें दुख है कि वो उपचुनाव में संतोषजनक नतीजे नहीं दे पाए. ऐसे में वो पद से इस्तीफा दे रहे हैं. कांग्रेस ने उपचुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है.
बता दें, 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 11 सीटें हासिल कर ली हैं. इसके अलावा रुझानों में उसने 1 सीट पर बढ़त बनाई हुई है. बाकी एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को बढ़त मिली हुई है.
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