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महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, रायगढ़ में हुई तीसरी मौत

Delta Plus variant से इससे पहले रत्नागिरि और मुंबई में भी हुई थी मरीजों की मौत

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देश में कोरोना (COVID 19) की दूसरी लहर अब तक पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुई है और अब अलग-अलग वेरिएंट का खतरा फिर से मंडरा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा खतरा डेल्टा वेरिएंट के म्यूटेशन डेल्टा प्लस (Delta Plus Variant) का है. महाराष्ट्र में इस वेरिएंट से अब तक कुल तीन लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में पिछले महीने से ही लगातार इस वेरिएंट के अलग-अलग मामले पाए जा रहे थे, लेकिन अब पहली बार इससे मौतें दर्ज की गई हैं.

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कई राज्यों में मिले डेल्टा वेरिएंट के केस

महाराष्ट्र में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट से पहली मौत रत्नागिरि में दर्ज हुई थी. इसके बाद मुंबई शहर में इसी वेरिएंट से पीड़ित दूसरे मरीज की मौत हुई और अब रायगढ़ में एक 69 वर्षीय मरीज की मौत हुई है. कलेक्टर निधि चौधरी ने इसकी जानकारी दी है. बताया गया है कि मरीज को दोनों ही वैक्सीन लगाई जा चुकी थीं.

डेल्टा प्लस वेरिएंट के खतरे को देखते हुए टेस्टिंग तेज कर दी गई है. टेस्ट के सैंपलों को ज्यादा से ज्यादा जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जा रहा है, जिससे पता लगाया जाए कि कितने लोगों में इस वेरिएंट का असर है.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ महाराष्ट्र में ही डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले देखे जा रहे हैं. देश के अन्य राज्यों में भी वायरस के इस वेरिएंट ने घुसपैठ कर ली है. इससे पहले यूपी, पंजाब, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में भी डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले पाए गए थे. जिसके बाद तमाम राज्य सरकारें और प्रशासन अलर्ट पर हैं.

क्या तीसरी लहर का कारण बनेगा डेल्टा प्लस?

डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. क्योंकि ये अपने पहले वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की ही तरह बहुत तेजी से फैलता है और बाकी वेरिएंट के मुकाबले कई गुना संक्रामक है, इसीलिए कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर का कारण डेल्टा प्लस वेरिएंट हो सकता है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि डेल्टा प्लस तीसरी लहर का कारण बन सकता है. लेकिन तमाम एक्सपर्ट्स की नजर में ये वेरिएंट एक चिंता का विषय बना हुआ है.

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इम्यूनिटी और एंटीबॉडी पर असर

अब सबसे ज्यादा चिंताजनक बात जो निकलकर सामने आई है, वो ये है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट मरीजों में मौजूद एंटीबॉडी और इम्यूनिटी को तेजी से कम कर सकता है. यानी वैक्सीन लगाने वाले या फिर कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों के शरीर में बनी एंटीबॉडी को भी कम कर सकता है. इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) ने इसके संकेत दिए थे.

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