दिल्ली में नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद रखने के आदेश पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, मैं साउथ दिल्ली में रहती हूं. संविधान मुझे अनुमति देता है कि मैं जब चाहूं मीट खा सकती हूं. दुकानदारों को भी अपना हिसाब से दुकान चलाने की आजादी है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विट कर कहा, रमजान के दौरान हम (मुसलमान) सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच खाना नहीं खाते. अगर इस दौरान हम सभी नॉन-मुस्लिम निवासियों और टूरिस्टों को पब्लिक में खाने से ही बैन कर दें. तो मेरे हिसाब से ये भी ठीक रहेगा. खासतौर से उन इलाकों में जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. अगर साउथ दिल्ली में बहुसंख्यकवाद सही है, तो जम्मू-कश्मीर में भी इसे सही माना जाना चाहिए.
कैसे हुई पूरे विवाद की शुरुआत?
साउथ दिल्ली के मेयर मुकेश सुर्यान ने आदेश दिया था कि नवरात्रि के दौरान, दिल्ली में 99% घर लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए हमने फैसला किया है कि दक्षिण एमसीडी में कोई मांस की दुकान नहीं खुलेगी, यह फैसला कल से लागू होगा. उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगेगा.
इस आदेश के अनुसार 4 अप्रैल से साउथ दिल्ली निगम में पड़ने वाली सभी मीट की दुकानों (Meat Ban in Delhi) को नवरात्र तक बंद रखना होगा.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि इस निर्णय का आधार क्या है, मेयर ने कहा, "लोग इसे नहीं चाहते", बिना यह बताए कि ये लोग कौन हैं या यह निर्धारित करने के लिए एक सर्वे किया गया था.
आपको बता दें उत्तर प्रदेश के कई शहरों में नगर निगम के आदेश के बाद मांस के दुकानों को बंद करने का आदेश जारी किया गया था. हालांकि बाद में कई जगहों पर इस आदेश को वापस ले लिया गया. लेकिन उत्तर प्रदेश में इस आदेश को लेकर विवाद जारी था जो अब दिल्ली पहुंच चुका है.
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