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महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण की मांग BJP की राह कर सकती है मुश्किल

सरकार को चेतावनी, अगर मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिला तो बीजेपी का महाराष्ट्र में अर्ध शतक भी लगना मुश्किल होगा.

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गुजरात चुनाव में जातीय आरक्षण के मुद्दे ने बीजेपी को हिलाकर रख दिया है. इन सबके बावजूद गुजरात में बीजेपी अपना किला बचाने में कामयाब रही. लेकिन गुजरात चुनाव के पहले शुरू हुई आरक्षण की मांग पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में भी बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है.

मुंबई में मराठा समाज के आरक्षण के मुद्दे पर फडणवीस सरकार को घेरने वाले पोस्टर एक बार फिर छाए हुए हैं. इसमें सरकार को चेतावनी भी दी गई है कि अगर मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिला, तो बीजेपी का महाराष्ट्र में अर्धशतक भी लगना मुश्किल होगा.

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BJP सरकार को चेतावनी

दरअसल महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण दिलाने के लिए कई शहरों में मराठा समाज के लोगों ने पिछले दिनों मार्च निकाला था. इन ऐतिहासिक मार्च के बाद बीजेपी की फडणवीस सरकार ने भी मराठाओं को आरक्षण दिलाने के बारे में कदम उठाने के लिए सभी दलों के नेताओं की समिति का गठन किया.

जिस तरह दलित समाज के बच्चों के लिए जिला स्तर पर हाॅस्टल की सुविधा दी जाती है, उसी तर्ज पर मराठा समाज के बच्चों के लिए भी इस दिशा में सकारात्मक पहल की गई. फडणवीस सरकार की ये पहल राज्य के कोने-कोने में तेजी से फैल रहे मराठा समाज के आंदोलन की आग ठंडी करने में कुछ हद तक कामयाब भी रही.

 सरकार को चेतावनी, अगर मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिला तो बीजेपी का महाराष्ट्र में अर्ध शतक भी लगना मुश्किल होगा.

मराठा आरक्षण के मुद्दे को हवा मिलने के पिछे राजनीतिक साजिश होने से भी इन्कार नहीं

(फाइल फोटो: The Quint)

लेकिन गुजरात चुनाव में पाटीदार आरक्षण के मुद्दे ने अहम भूमिका अदा की और 22 साल से गुजरात की सत्ता पर राज करने वाली बीजेपी सरकार के चुनाव में पसीने छुड़ा दिए. इस बात को ध्यान में रखकर महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार को भी चेतावनी दी जा रही है कि गुजरात में पार्टी शतक से चूक गई, लेकिन अगर मराठाओं को आरक्षण नहीं मिला, तो यहां बीजेपी अर्धशतक भी पूरा नहीं कर पाएगी .

 सरकार को चेतावनी, अगर मराठा समाज को आरक्षण नहीं मिला तो बीजेपी का महाराष्ट्र में अर्ध शतक भी लगना मुश्किल होगा.

गुजरात चुनाव में पाटीदार आरक्षण के मुद्दे ने अहम भूमिका अदा की.

(फाइल फोटो: The Quint)

राजनीतिक साजिश होने से भी इनकार नहीं

हालांकि मराठा आरक्षण के मुद्दे को हवा मिलने के पीछे राजनीतिक साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता. दरअसल महाराष्ट्र में मराठाओं के मोर्चों के बाद मराठा क्रांति मोर्चा समिति और सरकार के बीच अच्छी वार्ता होने की बात समय-समय पर आती रही है. लेकिन ये बात राजनीतिक पार्टियां और खास तौर पर विपक्ष को भली-भांति मालूम है कि अगर प्रदेश में बीजेपी के बढ़ते ग्राफ को नीचे खींचना है, तो मराठा आरक्षण के मुद्दे को बनाए रखना उनके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

जानकारों की मानें, तो चुनाव के पहले अगर महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण और धनगर आरक्षण के मुद्दे को अंजाम तक नही पहुंचाया, तो सरकार के लिए सूबे की सत्ता बचा पाना टेढ़ी खीर साबित होगा. नारायण राणे कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 32% मराठा समाज है, जिसके बाद ओबीसी समाज का नंबर आता है. लेकिन धनगर समाज आबादी 4% के करीब है, जो कई सीटों पर परिणाम बदलने की ताकत रखता है.

हालांकि सत्ता में बैठी बीजेपी के नेताओं का मानना है जातिवाद का जहर विपक्षी पार्टियां कितनी भी घोलने की कोशिश करें, लेकिन उनकी ये चाल आने वाले दिनों में वो कामयाब नहीं होने देंगे. बीजेपी अपने विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ते हुए हर समाज के विकास का काम करेगी.

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