मेघालय (Meghalaya) ने सीबीआई (CBI) से आम सहमति वापस लेने का फैसला कर लिया है. यानी मेघालय में अब सीबीआई को जांच करने से पहले अनुमति लेनी होगी. पिछले कुछ सालों में कई राज्यों ने ऐसा किया है और अब देश में मेघालय ऐसा करने वाला नौवां राज्य बन गया है.
कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी बीजेपी के एनडीए का हिस्सा है लेकिन फिर भी यह कदम उठाया गया है. मिजोरम को छोड़कर अन्य सभी राज्य जिन्होंने सीबीआई से सहमति वापस ले ली है वहां विपक्षी दलों की सरकार है.
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “यह सच है कि मेघालय ने सीबीआई से सहमति वापस ले ली है. हम इसके कारणों को नहीं जानते हैं.”
जबकि मेघालय के गृह मंत्री लखमेन रिंबुई ने कहा कि वह इस पर "टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं" हैं.
सीएम संगमा ने लोकल रिपोर्टर्स से कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है. यह निर्णय काफी समय पहले लिया गया था. मुझे तारीख याद नहीं है, यह बहुत समय पहले किया गया था.
उन्होंने कहा, "यह एक सामान्य बात है…बहुत से राज्यों ने यह निर्णय लिया है, और यह उसी के अनुरूप है. यहां जो भी आता है, उसे राज्य से सहमति लेनी होती है. बस इतना ही. यह एक सामान्य प्रक्रिया है."
मिजोरम ने सबसे पहले 2015 में सीबीआई से सहमति वापस ली थी. ऐसा करने वाले यह पहला राज्य था. उस समय राज्य में कांग्रेस का शासन था और तब मुख्यमंत्री ललथनहवला थे. 2018 में जोरमथंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सत्ता में आया लेकिन उनकी पार्टी एनडीए की सहयोगी होने के बावजूद, सीबीआई को सहमति बहाल नहीं की गई थी.
मिजोरम के बाद महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और केरल ने केंद्रीय जांच एजेंसी से सहमति वापस ले ली थी. बता दें कि सहमति वापस लेने का मतलब है कि सीबीआई राज्य सरकार की अनुमति के बिना राज्य में किसी भी मामले की जांच नहीं कर पाएगी.
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