मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर में 25 आशा कार्यकर्ताओं को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. इसको लेकर स्वास्थ्य निदेशक की तरफ से आदेश जारी किया गया है. आशा कार्यकर्ताओं पर यह कार्रवाई प्राथमिकी दर्ज करने के बाद की गई है.
आशा कार्यकर्ताओं पर क्यों लिया गया एक्शन?
अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रही आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने की अनुमति मांगी थी, जिसमें से कुछ कार्यकर्ताओं को प्रशासन ने परमिशन दिया था. लेकिन 16 अप्रैल को कार्यक्रम के बाद सीएम बिना आंदोलनकारी महिलाओं से मिले चले जा रहे थे. इसे लेकर आशा एवं ऊषा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री का रास्ता रोका और उन्हें ज्ञापन देने की कोशिश की.
हालांकि, महिला पुलिसकर्मियों ने उन्हें वहां से हटाया और सीएम के काफिले को रवाना कर दिया. लेकिन अगले ही दिन 25 कार्यकर्ताओं पर गोला का मंदिर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया. थाने में मामला दर्ज होने के बाद डायरेक्टर हेल्थ ने इन महिला कार्यकर्ताओं को बर्खास्त कर दिया. इसके बाद से आशा और उषा कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है.
आंदोलन करने वाली और मुख्यमंत्री का रास्ता रोकने वाली 25 आशा कार्यकर्ताओं को सेवा से मुक्त कर दिया गया है.डॉक्टर मनीष शर्मा, CMHO
हालांकि, मनीष शर्मा ने यह नहीं बताया कि सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं की मांगों पर क्या विचार किया है.
आशा कार्यकर्ता ने जताई नाराजगी
सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद आशा कार्यकर्ता लामबंद हो गई हैं. उनका कहना हैं कि शिवराज सरकार द्वारा उन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है. यह कार्रवाई पूरी तरह गलत है और वो इसके लिए सड़क पर आंदोलन करेंगी.
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