ADVERTISEMENTREMOVE AD

कोविड ने मां-बाप को छीना, अनाथ बच्चा डेथ सर्टिफिकेट के लिए भटक रहा

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाले तीन लोगों का एक परिवार कोरोना की वजह से बिखर गया

Updated
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

एक महीने पहले, मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाले तीन लोगों का एक परिवार कोरोना की वजह से बिखर गया. 10 वीं क्लास में पढ़ने वाले हनुशीष डेहरिया ने कोविड से अपने माता-पिता को खो दिया. हनुशीष अनाथ तो हुआ साथ ही उसके ऊपर खुद का ख्याल रखने की भी जिम्मेदारी आ गई. मा-बाप के जाने का गम मनाने की जगह वो उनका डेथ सर्टिफिकेट पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हनुशीष की दादी कहती हैं-

मैंने अपना बेटा और बहू दोनों को खो दिया, हनुशीष अब मेरे पास है. टेलीविजन पर मुख्यमंत्री को देखकर मेरे मन में उम्मीद जगी. उन्होंने कहा था कि वह अनाथ बच्चों को नहीं छोड़ेंगे और COVID से तबाह परिवारों को राहत देंगे. 
कम्मो देवी, हनुशीष की दादी

हनुशीष उन हजारों बच्चों में से एक है, जिसे कोरोना की दूसरी लहर ने अनाथ कर दिया है. इन बच्चों के लिए आशा की किरण है कि एमपी सरकार ने इनके लिए मदद का ऐलान किया है. शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार उन लोगों के लिए राज्य सहायता की घोषणा करने वाली पहली सरकार बन गई, जिन्होंने अपने अभिभावकों और माता-पिता को COVID-19 में खो दिया.

13 मई को मध्यप्रदेश सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए फ्री शिक्षा का ऐलान किया था, और इसके साथ ही हर महीने 5 हजार रुपये की मदद भी देना की घोषणा की है. वहीं ऐसे बुजुर्ग जिन्होंने अपनो को खो दिया है, उनके लिए भी हर महीने 5 हजार के पेंशन का ऐलान किया है.

लेकिन अनाथ बच्चों के लिए सरकार की योजनाएं का फायदा तभी मिलेगा, जब उनके पैरेंट्स की मौत कोरोना से हुई हो, हनुशीष को भी ,सरकार की स्कीम का लाभ तब मिलेगा, जब वह अपने माता-पिता को COVID का शिकार साबित कर सकें. अफसोस की बात है कि अपने माता-पिता की मृत्यु के कुछ दिनों बाद भी, वो अपने माता-पिता के COVID-19 मृत्यु प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है. 

हनुशीष के पिता गिरीश की मौत 18 अप्रैल को भोपाल में हुई थी, वहीं उसकी मां दिव्या जो सरकारी पीजी कॉलेज में असिटेंट प्रोफेसर हैं उनकी मौत 19 अप्रैल को बैतुल में हुई थी. डेहरिया परिवार ने पहली बार कोरोना के लक्षण अप्रैल के दूसरे हफ्ते में देखे गए, उनकी रिपोर्ट 12 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी, दो दिन के बाद ही गिरीश की हालत बिगड़ गई. हनुशीष उस दिन को याद करते हुए बताता है-

मैं उनकी आंखों में डायरेक्ट नहीं देख पा रहा था, वो बोल रहे थे उन्हें जलन हो रही है, पापा को अस्पताल जाने की और वेंटिलेटर की जरूरत थी, लेकिन हमें कुछ नहीं मिला, वो बेबस बेड पर पड़े रहे.  

हालात खराब होने पर हनुशीष ने अपने दादा दादी को फोन किया, और उनके हालत के बारे में बताया, उन लोगों ने किसी तरह 50 हजार का इंतजाम किया और एंबुलेस से गिरीश को लेकर भोपाल पहुंचे, 305 किलोमीटर के सफर के लिए उन्हें 50 हजार खर्च करने पड़े. गिरीश को 17 अप्रैल को भोपाल में भर्ती कराया गया. दूसरे दिन ही उनकी मौत हो गई. और एक दिन के बाद हनुशीष ने अपनी मां को भी खो दिया.

वायरस ने हनुशीष पर भी अटैक किया, 27 अप्रैल को जब वो इस बीमारी से रिकवर हुआ तो उसके कंधों पर सारी जिम्मेदारी थी. वो अपने अंकल के साथ भोपाल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के दफ्तर अपने पिता का डेथ सर्टिफिकेट लेने के लिए गया, जहां उसने अस्पताल का सर्टिफिकेट दिया.जिसमें साफ लिखा था कि मौत की वजह कोविड है, लेकिन भोपाल म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की तरफ से जो प्रमाण पत्र दिया गया उसमें मौत की वजह का जिक्र नहीं किया गया है, अब हनुशीष के पास ये साबित करने के लिए कुछ भी नहीं है कि उसके पिता की मौत कोविड से हुई है.

भोपाल नगर निगम के आयुक्त केवीएस चौधरी ने कहा, “नागरिक निकाय प्रमाणपत्रों पर केवल तारीख और समय बताते हैं, उन्हें अस्पताल के दस्तावेज दिखाकर स्वास्थ्य विभाग से COVID-19 मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा , जब द क्विंट ने बताया कि वो उनके पास हैं तब चौधरी ने कहा कि वह मूल प्रमाण पत्र वापस करने के लिए तैयार हैं, जहां हनुशीष की मां का निधन हुआ, उनके नाना अभी भी दिव्या का COVID मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

हनुशीष के नाना कमल मगरकर कहते हैं

दलितों की कोई नहीं सुनता. उनके लिए हमारा दर्द और प्रयास कोई मायने नहीं रखता. मैं हर दिन मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय जाता हूं और मुझे बस इतना ही सुनने को मिलता है कि ‘सर्वर डाउन है, कल वापस आ जाओ’. मेरी बेटी मर चुकी है और मेरे पास सिर्फ मेरा पोता है, उनकी लापरवाही हमारे बच्चे की मासूमियत छीन लेगी. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हनुशीष अब अपने दादा-दादी के साथ रह रहा है, अगर COVID-19 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है, तो वह सरकार की हाल ही में शुरू की गई योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×