यस बैंक से पैसों की निकासी की सीमा तय होने के बाद मुंबई में इस बैंक की कई ब्रांच और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं. लोगों ने 5 और 6 मार्च की दरम्यानी रात से ही एटीएम जाकर पैसा निकालना शुरू कर दिया. ऐसे में बहुत से एटीएम में कैश भी खत्म हो गया है.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 5 मार्च को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया था. इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए एक महीने में 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की. बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है.
इस फैसले के बाद रात में एटीएम पहुंचे ग्राहकों ने कहा, ''हम कैश निकालना चाहते हैं, लेकिन एटीएम में कैश नहीं है. हम परेशान हैं क्योंकि होली आ रही है.''
बताया जा रहा है कि यस बैंक का निदेशक मंडल पिछले 6 महीने से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में नाकाम रहा. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.’’
बयान में कहा गया कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वो कई निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था. बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन कई वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरी कोशिश की. केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही.
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