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यूपी के सहारनपुर में दलित युवक की 'कनपट्टी' पर पिस्तौल रखकर मूंछें मुंडवा दीं

सहारनपुर का ये इलाका दलित बनाम अगड़ों की लड़ाई का अड्डा बन चुका है

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राज्य
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जातीय संघर्ष का केंद्र बनता जा रहे उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से एक बार फिर दलित युवक पर अत्याचार की खबर सामने आई है. सहारनपुर के बड़गांव थाना क्षेत्र में एक दलित युवक रजत की जबरन दाढ़ी-मूछ कटवाए जाने की घटना सामने आई है. और ये आरोप इलाके के ऊंची जाति के युवकों पर लगा है.

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शिमलाना गांव निवासी 22 वर्षीय इंजीनियरिंग के छात्र रजत ने अपनी शिकायत में कहा है कि

गांव के उच्च जाति के लोगों ने मुझे पकड़ लिया और मुझे गालियां देने लगे. वे चाकू और देसी पिस्तौल से लैस थे और मुझे जबरन एक नाई की दुकान पर ले गए, मुझे जान से मारने की धमकी दी और मेरी मूंछें मुंडवा दी.

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला सामने आया. वीडियो में देखा जा सकता है कि रजत को जबरन पास की नाई की दुकान पर धमका कर ले जाया गया. और उसकी मूंछ कटवा दी गई. इस दौरान पीडि़त युवक रहम की भीख मांग रहा है. और अपमानित नहीं करने के लिए अनुरोध कर रहा है. लेकिन जातीय मानसिकता से ग्रसित आरोपी युवक पीड़ित की एक नहीं सुनते हैं.

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उसे (रजत) लगातार आरोपियों द्वारा धमकाया और प्रताड़ित किया जा रहा था. जब वह घर वापस आया, तो मैंने पूछा कि उसने अपनी मूंछें क्यों मुंडवा लीं. वह इतना डर ​​गया था कि उसने अपनी मर्जी से ऐसा करने की बात कही. लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद हमें घटना के बारे में पता चला. जिसके बाद रजत ने आपबीती सुनाई.

जांच में जुटी पुलिस

घटना 18 जुलाई का बताया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने संज्ञान लिया. भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 323, 504 और 506 और संबंधित धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. सात नामजद आरोपियों- नीरज राणा, सत्यम राणा, मोकम राणा, रूपंतु राणा, मोंटी राणा, संदीप राणा और नाई राजेंद्र के खिलाफ बड़गांव थाने में एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.

तो वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद 22 जुलाई को भीम आर्मी ने घटना के खिलाफ विरोध दर्ज कराया.

द क्विंट से बात करते हुए, उप महानिरीक्षक (सहारनपुर रेंज) उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि मामले में सभी नामित आरोपियों का पता लगाने के लिए टीमों का गठन किया गया है.

सात नामजद आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्हें पकड़ने और गिरफ्तार करने के लिए टीमों का गठन किया गया है. क्षेत्र में जाति संघर्ष के पिछले मामलों को देखते हुए, मेरा अनुरोध है कि इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न किया जाए
उपेंद्र अग्रवाल, डीआईजी, सहारनपुर
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सहारनपुर में जातिगत तनाव का इतिहास

बड़गांव थाना क्षेत्र में हुए शब्बीरपुर कांड के दाग अभी तक सहारनपुर के दामन से पूरी तरह खत्म नहीं हो पाए हैं और अब इसी थाना क्षेत्र के गांव शिमलाना की यह घटना गर्माती हुई दिख रही है. सहारनपुर का बड़गांव क्षेत्र जाति संघर्ष का केंद्र रहा है. इस क्षेत्र में अप्रैल-मई 2017 में जातीय हिंसा की बाढ़ आ गई थी, जब शब्बीरपुर गांव के दलित और ठाकुर समुदाय आपस में भिड़ गए. यह सब अप्रैल 2017 में शुरू हुआ, जब शब्बीरपुर गांव के दलितों को ठाकुर समुदाय ने गांव के रविदास मंदिर के परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने से रोक दिया.

प्रतिशोध में, दलित समुदाय ने भी 5 मई को विरोध किया, और पास के सिमलाना गांव में महाराना प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने जा रहे ठाकुर समुदाय के लोगों को पथराव कर दिया. जिसमें एक ठाकुर समुदाय के युवक की मौत हो गई. जिसके बाद दोनों समुदाय में संघर्ष और बढ़ गया. जिसके बाद ठाकुर समुदाय की भीड़ ने कथित तौर पर दलित कॉलोनी पर हमला कर घरों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी. जिसमें एक की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए.

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