सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंदा कोचर की याचिका को खारिज कर दिया. कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ के रूप में अपनी बर्खास्तगी और बोनस को अस्वीकार करने के हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी थी. जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली एक पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को यह कहते हुए बरकरार रखा कि विवाद की प्रकृति संविदात्मक है और निजी भी.
जस्टिस कौल ने कोचर की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से कहा, “हम विवाद में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. यह बैंक और कर्मचारी के बीच निजी अनुबंध के दायरे में आता है. हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते. ”कोचर ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की, जिसने पिछले साल हुई उनकी बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी. रोहतगी ने पीठ के समक्ष कहा कि कोचर की बर्खास्तगी अवैध है, क्योंकि ऐसा आरबीआई की पूर्व स्वीकृति के बिना किया गया था.
चंदा कोचर ने इस मामले में भारी विवाद के बाद चार अक्टूबर, 2018 को अपना पद छोड़ दिया था. इस विवाद से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि 2011 में पद्मभूषण से सम्मानित किए जाने के बाद वह इस तरह खुद को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पाएंगीं.
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