ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार एक्शन मोड़ में दिख रही है. 24 जनवरी को सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य सहयोगी मंत्रियों के साथ बैठक की. बताया जा रहा हैं कि राज्य सरकार ने ओबीसी वर्गों से जुड़ा उपलब्ध डाटा पिछड़ा वर्ग आयोग को सौंप दिया है.
बता दें कि 19 जनवरी को महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग आयोग को दी है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, राज्य सरकारों को ओबीसी वर्गों का उपलब्ध डाटा पिछड़ा वर्ग को सौंपने को कहा है.
हालांकि, आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण दिया जाए या नहीं, ये तय करने के लिए अगले दो हफ्ते का समय दिया गया है.
सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार ने कुल पाच संस्थाओं से ओबीसी समुदाय का डाटा इकट्ठा किया है. इनमें से एक रिपोर्ट नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की "भारत में कृषि परिवारों की स्थिति" नामक 77वीं रिपोर्ट है, जो सितंबर 2021 में प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के कुल कृषि परिवारों में से 39.9 प्रतिशत ओबीसी समुदाय हैं. राज्य के गैर-कृषि परिवारों में ओबीसी परिवार 39.6 प्रतिशत हैं.
मार्च 2021 की केंद्र की सोशल वेलफेयर स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में ओबीसी कुल आबादी का 33.8 प्रतिशत है. केंद्र की सेंटर्स यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE) की 2019-2020 की रिपोर्ट कहती है कि राज्य में औसतन 33 फीसदी छात्र ओबीसी के हैं.
सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना 2011 का विश्लेषण करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की ओर से गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकनॉमिक्स द्वारा एक अन्य रिपोर्ट भी आयोग को दिया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी राज्य की कुल आबादी का 48.6 फीसदी है.
इसके अलावा बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्मचारियों की कमी और सुविधाओं की कमी के बारे में राज्य सरकार के सामने शिकायत की. सीएम उद्धव ठाकरे ने आयोग को 35 कर्मचारी देने के निर्देश दिए है.
कांग्रेस के ओबीसी नेता विजय वड्डेट्टीवार का कहना है कि सभी रिपोर्ट्स के आंकड़े दर्शाते हैं कि ओबीसी की संख्या 27 प्रतिशत से ज्यादा की है. ऐसे में ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण रद्द न हो इसलिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में पूरी ताकद झोंक देगी. हालांकि, 28 जनवरी तक पिछड़ा वर्ग आयोग को अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर फिर एक बार बैठक लेने वाले हैं, जिसमें सरकार से जरूरी टर्म ऑफ रेफरेंसेस ओर चर्चा हो सके.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)