उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुरादाबाद (Moradabad) में ऱमजान के महीने में तरावीह की नमाज पढ़ने को लेकर विवाद (Namaz Row) हो गया. मामला कटघर थाना इलाके के लाजपत नगर का है. जहां शनिवार देर शाम बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक निजी गोदाम में तरावीह की नमाज पढ़ने का विरोध किया. बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नई परंपरा शुरू करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने उस वक्त की नमाज संपन्न कराया और फिर वहां नमाज न पढ़कर मुस्लिम पक्ष को चिन्हित धार्मिक स्थलों या अपने अपने घरों पर नमाज पढ़ने के लिए निर्देश दिया.
क्या है मामला?
दरअसल, लाजपत नगर में जाकिर आयरन स्टोर के मालिक जाकिर हुसैन के गोदाम में शनिवार, 25 मार्च को 25-30 लोगों के साथ तरावीह की नमाज पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था. जिसको लेकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया. बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना ने कहा कि,
"हम कोई भी नई परंपरा शुरू नहीं होने देंगे. इस शहर में अशांति फैलाने वालों पर हमने शुरुआत से कहा है कि मुकदमा लिखा जाए. जो लोग शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं उनपर मुकदमा लिखा जाए. हमने पुलिस अधिकारियों से भी कहा है कि जिन लोगों ने शांति भंग करने की कोशिश की है, उनपर मुकदमा दर्ज होना चाहिए."
इसके साथ ही बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि अगर नमाज पढ़ रहे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होता है तो वो आंदोलन करेंगे.
पुलिस ने इस मामले में बिल्डिंग के मालिक जाकिर हुसैन सहित 10 लोगों को CrPC की धारा 107/116 के तहत नोटिस दिया है.
नोटिस में लिखा है कि क्यों न उन्हें शांति भंग करने के लिए 5-5 लाख रुपये की जमानत के साथ बाध्य किया जाए.
वहीं इस मामले में गोदाम के मालिक ने थाने में लिखित में समझौता नामा दिया है. समझौते में पुलिस से कहा गया है कि आगे से गोदाम के अंदर तरावीह की नमाज नहीं पढ़ी जाएगी.
मुरादाबाद में पहले भी नमाजियों पर हुई थी गलत FIR
बता दें कि इससे पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुरादाबाद में ही दुल्हेपुर में 24 अगस्त को सामूहिक नमाज अदा करने के लिए 26 लोगों के खिलाफ एक FIR दर्ज की गई थी. हालांकि, 30 अगस्त को पुलिस ने प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्हें शिकायतकर्ता के दावों (सार्वजनिक रूप से नमाज अदा करने) के पर्याप्त सबूत नहीं मिले. पुलिस ने कहा था कि जहां नमाज हो रही थी वो चबूतरा दिखने में सार्वजनिक लगता है, मगर वह एक निजी संपत्ति है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)