उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. इन चुनाव में समाजवादी पार्टी को साफ बढ़त मिलती दिखी है. अब इससे जुड़ी प्रतिक्रियाएं भी कई जिलों से देखने को मिल रही हैं. यूपी के एटा में बीजेपी के चार विधायक कई घंटों तक धरने पर बैठे रहे, इन विधायकों के साथ बीजेपी जिलाध्यक्ष समेत कई कार्यकर्ता भी जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे. बीजेपी के नेताओं का आरोप था कि जिला प्रशासन ने मिलीभगत से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को जीत दिलाई है. ऐसे में मांग थी कि जिले के सभी 30 वॉर्डों पर रीकाउंटिंग हो और सर्टिफिकेट वापस लिए जाए.
एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें धरने पर बैठे नेता कह रहे हैं-
‘हमारी सरकार में हमारा ही उत्पीड़न होगा क्या? हमें चाहो तो पीट लो. हमने प्रभारी मंत्री को बता दिया है कि धरने पर बैठ गए हैं. हमें मारना चाहो तो मार लो.’
'हमारे एजेंटों को बाहर कर, नंबर में हेरफेर किया गया'
एमएलसी धर्मवीर प्रजापति, विधायक संजीव दिवाकर, सत्यपाल सिंह राठौर और वीरेंद्र लोधी धरने में मौजूद रहे. धर्मवीर प्रजापति का कहना है कि काउंटिंग शुरू होने के बाद एजेंटों को फोन आने लगे कि उन्हें मतगणना केंद्र से बाहर किया जा रहा है और एक-दो घंटे में हीप्रत्याशियों को पीछे कर दिया गया.
हमने ये जानकारी जिलाधिकारी, सीडीओ समेत सभी अधिकारियों को दी है. हम लोग धरने पर बैठे हैं, अधिकारी ने अपने लोगों को सही सिद्ध किया है और हम से कहा कि आपके पास फर्जी जानकारी आ गई है.बीजेपी विधायक
बीजेपी की तरफ से आरोप है कि वॉर्ड नंबर 10 से पहले बीजेपी समर्थित उम्मीदवार की जीत का ऐलान कर दिया गया था लेकिन एक दिन बाद सर्टिफिकेट किसी और को थमा दिया गया.
कई घंटों बाद खत्म हुआ धरना
ये धरना तब खत्म हुआ जब वॉर्ड नंबर 10 का प्रमाण पत्र वापस लेकर बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को दिया गया. ये बताया जा रहा है कि प्रमाणपत्र आरओ, एआरओ ने गलती से दे दिया था.
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