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धर्म परिवर्तन में नाम आया-लोग कहने लगे आतंकवादी, इंसाफ के लिए पैदल आ रहे दिल्ली

सहारनपुर के प्रवीण मोदी-योगी पर लिख चुके किताब, खुद को कहते हैं राष्ट्रवादी लेखक

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सहारनपुर जिले के रहने वाले 32 साल के लेखक, प्रवीण कुमार का जीवन इस साल जून में एक कथित 'धर्मांतरण रैकेट' के भंडाफोड़ के बाद पूरी तरह से बदल गया. यूपी पुलिस (UP Police) के आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने जून में एक रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था. कहा गया कि रैकेट ने प्रवीण का भी धर्म परिवर्तन किया. जांच हुई, उनसे पूछताछ की गई और उन्हें क्लीन चिट भी मिल गई है, लेकिन आस-पास के लोग उन्हें 'आतंकवादी' कहने लगे. अब, अपने सम्मान को वापस पाने के लिए वो पैदल 'सामाजिक न्याय यात्रा' पर निकल पड़े हैं. फिलहाल दिल्ली के रास्ते में हैं.

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धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों में आया नाम

ये दावा किया गया था कि देशभर में फैले धर्मांतरण रैकेट ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से धन प्राप्त किया और ये पिछले दो सालों में हजार से ज्यादा लोगों के धर्म परिवर्तन के पीछे जिम्मेदार था.

इसके तुरंत बाद, उन लोगों के नामों की एक कथित सूची सामने आई, जिन्हें संगठन द्वारा धर्म परिवर्तन का लालच दिया गया था. उनमें से एक नाम प्रवीण का भी था.

शुरू में उनसे सहारनपुर में पूछताछ की गई और बाद में उन्हें लखनऊ में ATS जांच में शामिल होने के लिए कहा गया.

प्रवीण ने कहा, "ATS की टीम तीन दिन मेरे घर आई थी. मैं एक हफ्ते के लिए लखनऊ में ATS हेडक्वॉर्टर में था. बाद में उन्होंने मुझे मेरे घर छोड़ दिया. मुझे क्लीन चिट दे दी गई है."

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लोगों ने 'आतंकवादी' करार दे दिया

पीएचडी स्कॉलर, प्रवीण कहते हैं कि वो राष्ट्रवादी लेखक हैं और उन्होंने कई किताबें और कविताएं भी लिखी हैं. उन्होंने दो किताबें लिखी हैं, एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'नमो गाथा - मोदी एक विचार' और दूसरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर - 'योगी राज से योगा राज तक.'

प्रवीण का कहना है कि जांच एजेंसियों ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है, लेकिन घर के आस-पास के लोगों ने उन्हें आतंकवादी करार दे दिया है. उनके घर की दीवार पर लोगों ने 'आतंकवादी' लिख दिया और एक नोट चिपकाकर उन्हें 'पाकिस्तान' जाने के लिए कहा गया.

सहारनपुर के प्रवीण मोदी-योगी पर लिख चुके किताब, खुद को कहते हैं राष्ट्रवादी लेखक

लोगों ने पाकिस्तान जाने को कहा

(फोटो: क्विंट हिंदी)

"कुछ नहीं करने के बावजूद, मुझे भुगतना पड़ा है. मुझे आतंकवाद विरोधी दस्ते से पूछताछ में क्लीन चिट दे दी गई है, लेकिन आस-पास के लोगों ने मेरी जिंदगी मुश्किल बना दी है."
प्रवीण

प्रवीण ने आगे बताया, "गांव में अफवाह फैलाई गई है कि अगर कोई ATS की जांच के दायरे में है, तो वो आतंकवादी है. मेरे घर की दीवार पर 'आतंकवादी' लिखा हुआ था. हाल ही में, मुझे 'आतंकवादी' कहते हुए एक नोट चिपकाया गया था और मुझसे 'पाकिस्तान' जाने के लिए कहा गया था. मुझे समझ नहीं आता कि उनकी आतंकवादी की परिभाषा क्या है. अब मैंने न्याय मांगने का फैसला किया है."

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सम्मान पाने के लिए 'सामाजिक न्याय यात्रा'

अब अपना खोया सम्मान पाने के लिए प्रवीण ने 'सामाजिक न्याय यात्रा' शुरू की है. सहारनपुर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर वो दिल्ली के 230 किलोमीटर के सफर पर पैदल निकल पड़े हैं. वो अगले महीने 9 अगस्त को दिल्ली पहुंचने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे.

"मैं निर्दोष हूं, मैं सामाजिक शोषण के साथ नहीं रह सकता और न ही मैं लोगों, रिश्तेदारों और समाज को घटना के बारे में सफाई दूंगा और उनसे अनुरोध करूंगा कि मेरे साथ निर्दोष जैसा बर्ताव करें."
जिला मजिस्ट्रेट को सौंपे गए ज्ञापन में प्रवीण ने कहा

इस घटना पर सहारनपुर जिलाधिकारी, अखिलेश सिंह ने कहा कि उन्हें इस ज्ञापन की जानकारी मीडिया से मिली है और वो इस मामले को देखेंगे. उन्होंने कहा, "वो मुझसे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिले. मुझे मीडिया से पता चला कि वो कलेक्ट्रेट पहुंचे और ज्ञापन सौंपा. हम उठाए गए मुद्दे को देखेंगे और इसके समाधान के लिए उचित कार्रवाई करेंगे."

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