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कुंभ और कोरोना मौतों के बीच संबंध, चारधाम यात्रा को करें रद्द- HC

नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को चार धाम मंदिरों की लाइव स्ट्रीमिंग का सुझाव दिया.

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राज्य
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उत्तराखंड में कोविड स्थिति पर सरकार को फटकार लगाते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक आयोजनों और चारधाम यात्रा की अनुमति दे कर कोविड को बुलावा नहीं दे सकते. चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार से 1 जुलाई से चार धाम यात्रा शुरू करने के अपने फैसले पर विचार करने को कहा.

हाईकोर्ट ने 23 जून को सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों पर बड़ी सभा और चार धाम यात्रा की अनुमति दे कर कोविड महामारी को फिर से आमंत्रित नहीं किया जाना चाहिए.
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हाईकोर्ट ने कहा, “चार धाम यात्रा को स्थगित या रद्द करने की जरूरत है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पहले ही अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी गई है.” कोर्ट ने माना कि वो अच्छी तरह से जानता है कि यात्रा रद्द करने से चार धाम के निवासियों को आर्थिक परेशानी हो सकती है, हालांकि, लोगों की जिंदगी बचाना ज्यादा जरूरी है.

हाईकोर्ट ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों से साफतौर से संकेत मिलता है कि उत्तराखंड ने 1 से 30 अप्रैल के बीच कुंभ मेले की अनुमति दी थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड में कोविड के कारण हुई 59% मौतें मई महीने में हुईं. इस तरह, अप्रैल में कुंभ मेले के आयोजन और मई में हुई मौतों के बीच स्पष्ट संबंध है.

कोर्ट ने सरकार को चार धाम मंदिरों की लाइव स्ट्रीमिंग का सुझाव दिया. हाईकोर्ट ने कहा, “इस तरह की लाइव स्ट्रीमिंग से भक्त दर्शन कर पाएंगे और श्रद्धा प्रकट कर पाएंगे, और इससे लोगों की जिंदगी भी बचाई जा सकती है.”

कोर्ट ने चार धाम यात्रा को लेकर सरकार से 28 जून तक बताने को कहा है.

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‘ये मत जताइए कि यहां राम राज्य है’

24 जून को सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने सरकार के इंतजामों की आलोचना की. हाईकोर्ट ने उत्तराखंड की तीरथ सिंह रावत सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश मत कीजिए. हम सच्चाई जानते हैं. चीफ जस्टिस को ये बताने की कोशिश मत कीजिए कि उत्तराखंड में राम राज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं. महामारी में जब युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है, तो ऐसे में प्रशासनिक रोड़े लगाए जा रहे हैं, जिससे प्रोसेस धीमा हो रहा है.”

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