पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम 'स्वास्थ्य साथी' का दायरा बढ़ाए जाने पर बीजेपी ने निशाना साधा है. बीजेपी ने कहा है कि केंद्र सरकार की 'आयुष्मान भारत' जैसी फुलप्रूफ योजना न लागू कर ममता बनर्जी सरकार ऐसी योजना चला रही है, जिससे सिर्फ सत्ताधारी दल से जुड़े गिरोह को फायदा पहुंच रहा है. बीजेपी ने ममता बनर्जी सरकार को नाम बदलने वाली सरकार बताया है.
मामला क्या है?
दरअसल, मोदी सरकार की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत नामक स्वास्थ्य बीमा योजना चलाई जा रही है. देश के करीब 50 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य है. लेकिन, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने इस योजना को लागू करने की जगह अपनी अलग योजना लागू की है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र और राज्य के बीच 60:40 अनुपात में इस योजना के संचालन की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए इसे राज्य में लागू नहीं किया है.
ममता बनर्जी का तर्क क्या है?
ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्र सिर्फ 60 प्रतिशत धनराशि देता है तो 40 प्रतिशत कौन देगा? जबकि स्वास्थ्य साथी योजना के तहत सौ फीसद खर्च राज्य सरकार उठा रही है. ममता बनर्जी सरकार ने पिछले तीन वर्षो से संचालित इस योजना का दायरा अब बढ़ा दिया है. उन्होंने बीते एक दिसंबर, 2020 से पश्चिम बंगाल के प्रत्येक परिवार, व्यक्ति, बुजुर्ग, बच्चे, महिला सभी को इसका लाभ देने का निर्णय लिया. पहले राज्य के 7.5 करोड़ लोगों के लिए ही योजना लागू थी. इस पर बीजेपी ने निशाना साधा है.
बीजेपी का क्या कहना है?
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रितेश तिवारी ने आईएएनएस से कहा, "अचानक चुनाव नजदीक आने पर स्वास्थ्य साथी योजना का विस्तार करने की याद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कैसे आ गई? इसका मतलब है कि राज्य के अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था जर्जर हो चुकी है. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना सर्वव्यापी है, जिसमें धांधली की कोई गुंजाइश नहीं है. देश के तमाम राज्यों में सही तरीके से जनता को इलाज सुविधा मिल रही है. जबकि ममता सरकार की स्वास्थ्य साथी योजना त्रुटिपूर्ण है. बंगाल में बड़े अस्पताल इससे कवर्ड नहीं है. बंगाल की जनता का अस्पतालों में इलाज नहीं हो पा रहा है. सत्ताधारी दल के लोगों के गिरोह को फायदा पहुंचाने के लिए यह योजना संचालित हुई है."
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