न्यूयॉर्क, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर फिर से राष्ट्रपति पद पर काबिज होने की जुगत में जुटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रवासियों के बीच अपनी बैठ बनाने को लेकर ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी, मोदी' कार्यक्रम में शिरकत की।
ट्रंप की छवि अप्रवासी विरोधी की रही है, ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में उनका शिरकत करना उनके लिए अहम रहा।
ट्रंप की 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (एमएजीए) रैली, जिसमें अधिकांश लोग श्वेत होते हैं, से अलग रविवार को वह 50,000 की भीड़ वाले ब्राउन लोगों के कार्यक्रम में शामिल हुए, जो एक अलग ही नजारा था और इसका कुछ चैनलों ने सीधा प्रसारण किया।
उनका संबोधन उनके कर कटौती, कम बेरोजगारी, मजबूत अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा की घोषणा करने वाले उनके सामान्य स्टंप भाषणों की तरह था। बस इसमें केवल डेमोक्रेटिक विरोधियों पर हमला शामिल नहीं था और उन्होंने भारत के लिए इसमें कई बातें कही।
एक और बड़ा फर्क यह देखने को यह मिला कि वह रैली में मुख्य वक्ता नहीं थे, जबकि वह हमेशा यूनिवर्स का केंद्र बनना चाहते हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि वह एक 'सेकेंड फिडल' (प्रमुख व्यक्ति के आगे कम महत्व का) की भूमिका निभा रहे थे। वहीं, वाशिंगटन पोस्ट ने इसे वार्म-अप एक्ट में एक अनोखी भूमिका निभाना बताया है।
यह उनके अभियान के दौरान संबोधित की गई सबसे बड़ी भीड़ भी थी, हालांकि यह भी 70,000 नहीं थी, जबकि उन्होंने कहा था कि स्टेडियम में 70 हजार भीड़ होगी।
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारी भीड़ ने शायद उन्हें प्रेरित किया। हालिया समय में, किसी भी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया है।
ट्रंप ने इस रैली के लिए रवाना होने से पहले कहा "भारत के प्रधानमंत्री ने मुझे भाषण देने के लिए कहा है और मैं 70,000 लोगों या जितनी भी संख्या होगी, उनसे भरे स्टेडियम में भाषण दूंगा।"
और शायद यह भी अप्रत्याशित था कि लगभग 60 निर्वाचित अधिकारियों में बड़ी संख्या में डेमोक्रेट नेताओं की उपस्थिति थी, जिनमें गवर्नर, सीनेटर और प्रतिनिधि शामिल थे, जो उनके सामने मंच पर थे।
यह रैली ट्रंप के लिए अवैध आव्रजन का विरोध करते हुए वैध आप्रवासियों के एक समर्थक के रूप में खुद को पेश करने का अवसर था। यह एक ऐसा अंतर है, जिसे मीडिया और राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें एक आव्रजक विरोधी नस्लवादी दिखाने के लिए मिटा दिया।
अमेरिकी मूल्यों को स्वीकार करने के लिए भारतीय प्रवासियों की प्रशंसा करते हुए ट्रंप ने कहा, "बतौर अमेरिकी हमें आपको पाने पर गर्व है।"
उन्होंने उद्यमिता के माध्यम से रोजगार सृजन, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी में प्रवासी भारतीयों के योगदान का उल्लेख किया।
ट्रंप ने कहा, "भारतवंशी अमेरिका की महानता की कहानी लिख रहे हैं।"
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, भारतीय मूल के लगभग 40 लाख लोग अमेरिका में सबसे अधिक कमाई करने वाले एथनिक ग्रुप हैं, जिनकी औसत आय 100,000 डॉलर है, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुना है और 72 प्रतिशत के पास कम से कम स्नातक की डिग्री जरूर है।
ट्रंप ने वैध और अवैध आप्रवासियों के बीच के अंतर पर जोर दिया।
उन्होंने मोदी का भी जिक्र करते हुए कहा, "हम गर्व से अपने नागरिकों के लिए लड़ते हैं।"
ट्रंप ने कहा कि वह अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वालों के लिए मुफ्त लाभों के खिलाफ हैं।
सीमा सुरक्षा को कड़ा करने पर फोकस करते हुए उन्होंने कहा, "भारत के लिए सीमा सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, हम इसे समझते हैं।"
एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, भारतवंशियों ने ट्रंप के पुनर्निर्वाचन अभियान के लिए 10 लाख डॉलर और राष्ट्रपति पद के नामाकंन के लिए अपनी पार्टी से लड़ रहे विभिन्न डेमोक्रेट नेताओं के लिए 20 लाख डॉलर का चंदा दिया है।
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