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UP: कोर्ट ने 13 पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज करने का दिया आदेश

पुलिस पर एक वकील से रंगदारी मांगने और एक दलित व्यक्ति को अवैध हिरासत में रखने और जातिसूचक गालियां देने का आरोप है।

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पीलीभीत, 28 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी अधिनियम के आदेश पर एक थाना प्रभारी, एक सब-इंस्पेक्टर और 10 कांस्टेबल सहित 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दो मामलों में केस दर्ज किया गया है।

पुलिस पर पहले मामले में एक वकील से रंगदारी मांगने और दूसरे मामले में एक दलित व्यक्ति को अवैध हिरासत में रखने और जातिसूचक गालियां देने का आरोप है।

दोनों ही मामलों में पुलिस ने अभी तक न्यायिक आदेशों का पालन नहीं किया है।

पहला आदेश माधोटांडा थाने के उपनिरीक्षक धर्मेंद्र सिंह व आरक्षकों के खिलाफ है।

पीड़ित जिला केंद्रीय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वकील शिव शर्मा के अनुसार पुलिस ने अदालत के आदेश की प्राप्ति की तारीख से सात दिनों के भीतर उनकी शिकायत दर्ज नहीं की।

संबंधित आदेश पुलिस को 15 मार्च को प्राप्त हुआ था। शर्मा ने अब पुलिस द्वारा अदालत के आदेश की अवहेलना के खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर करने का फैसला किया है।

इस बीच, पुलिस अधीक्षक अतुल शर्मा ने कहा कि वकील के आरोप झूठे हैं, पुलिस उच्च न्यायालय में अपील दायर करेगी।

यह जिले में पहली बार हुआ है जब पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने का फैसला किया है।

इससे पहले, वकील ने अदालत में दायर अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया और सब-इंस्पेक्टर ने पिछले साल सितंबर में रंगदारी मांगी थी। उन्होंने एसपी से शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

शर्मा ने कहा कि पुलिस अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रही है, वे अपने स्टाफ के सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में अनिच्छुक हैं।

दूसरे मामले में 37 वर्षीय दलित सीमांत किसान भूप राम जाटव ने आरोप लगाया है कि पिछले साल 11 नवंबर को उनके गांव के तीन बदमाशों ने उन पर और उनकी पत्नी पर आग्नेयास्त्रों से हमला किया था। उन्होंने बताया कि वे दोनों एक आपराधिक मामले में हमलावरों के खिलाफ गवाह थे।

जाटव गजरौला थाना क्षेत्र के भूरा सरैंदा गांव के रहने वाले हैं।

पुलिस ने मामले में अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन आईपीसी की सही धाराएं लागू नहीं कीं। जब वह तत्कालीन एसएचओ आशुतोष रघुवंशी के पास एफआईआर में उचित धाराएं जोड़ने के अनुरोध के साथ पहुंचे, तो उन्हें पुलिस लॉकअप में बंद कर दिया और गालियां दी।

एससी/एसटी के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 23 मार्च को पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच करने का आदेश दिया है।

--आईएएनएस

सीबीटी

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