उत्तरप्रदेश में सारस की दोस्ती से मशहूर हुए आरिफ (Arif) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्हें उप प्रभागीय वनाधिकारी गौरीगंज ने वन्य जीव अधिनियम, 1972 के उल्लंघन पर नोटिस भेजा है. नोटिस में अधिकारी ने उन्हें 2 अप्रैल को अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया है.
आरिफ पर आरोप है कि उन्होंने अधिनियम की धारा 2,929,51 और 52 का उल्लंघन किया है.
क्या है वन विभाग का कानून
बीते दिनों सोशल मीडिया पर आरिफ और पक्षी सारस की दोस्ती खूब चर्चा में रही,बाइक पर सवार हो आरिफ कहीं जाता तो सारस उसके साथ -साथ उड़ता. इंसान और पक्षी की ऐसी दोस्ती ने सबको हैरान कर दिया. लेकिन 22 मार्च को आरिफ के घर से वन विभाग वाले सारस को ले गए और समसपुर पक्षी विहार में छोड़ दिया.
चूंकि सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है और वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) के अनुसार, अब उनकी आबादी घट रही है और भारत में केवल 15-20,000 (जिनमें से अधिकांश यूपी में) है .सारस को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची IV के तहत सूचीबद्ध किया गया है.
अनुसूची IV में सूचीबद्ध प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (wildlife protection act)1972 के अनुसार जिन पक्षियों को अधिनियम की अनुसूची IV में सूचीबद्ध किया गया है, उन्हें पालतू जानवर के रूप में रखने पर छह साल तक की जेल या 5000 रुपये से अधिक का जुर्माना लग सकता है. यही कारण है कि उत्तरप्रदेश का वन विभाग सारस को ले गया.
कैसे हुई यह अनोखी दोस्ती
पिछले साल आरिफ को सारस घायल हालत में मिला था. सारस के पैर में चोट लगी हुई थी,तो आरिफ उसको लेकर अपने घर चला गया और उसका इलाज किया. एक महीने बाद जब सारस ठीक हो गया तो आरिफ को लगा सारस चला जाएगा. मगर वो नहीं गया और आरिफ के ही संग घर का सदस्य बन रहने लगा. आरिफ का कहना है कि मैनें कभी सारस को बांध कर नहीं रखा वो दिन में चला जाता था और शाम को उड़ कर खुद मेरे पास वापस आ जाता था. फिलहाल वन विभाग ने आरिफ को सारस से मिलने से मना किया है और जब आरिफ से पूछा गया कि क्या आप नहीं जानते थे कि वन कानून सारस को पालने की इजाज़त नहीं देता? तो उनका कहना है कि वो वाइल्ड लाइफ के इन कानूनों से परिचित नहीं थे.
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