जयपुर, 24 जनवरी (आईएएनएस)| जयपुर में जयपुर साहित्य महोत्सव का 12वां संस्करण शुरू होने के साथ दिग्गी पैलेस परिसर गुरुवार को तेज ढोल की आवाज और राजस्थानी संगीत से गूंज उठा।
किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए ऐहतियात के तौर पर राजस्थान पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है।
महोत्सव स्थल के अंदर और बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है और सभी आगंतुकों को मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना होगा। निगरानी के लिए 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
आगंतुकों का स्वागत श्रुति विश्वनाथ ने अपनी मधुर आवाज में गाकर किया।
विश्वनाथ ने गीत और भक्ति काव्य का गायन किया। उन्होंने ब्रजभाषा से लेकर तमिल, मराठी और तेलुगू में गायन किया। अपनी प्रस्तुति के अंत में उन्होंने 'वैष्णव जन तो' गाकर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में पुस्तक प्रेमी पहुंचे।
जयपुर साहित्य महोत्सव टीमवर्क आर्ट्स के संजय रॉय की पेशकश है । इस मौके पर रॉय ने सह-निदेशक व लेखिका नमिता गोखले और राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री बी.डी. कल्ला के साथ अपने विचार साझा किए।
रॉय ने कहा, "हर साल, हम जश्न मनाने, बातचीत करने, बहस करने, चर्चा करने जुटते हैं और सबसे महत्वपूर्ण रूप से असहमति के लिए एक जगह बनाते हैं। आज की दुनिया में उन लोगों के लिए बहुत कम जगह है जो किसी विषय पर असहमति जताना चाहते हैं।"
उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि पहले संस्करण में महज 170 लोग आए थे और अब बड़ी तादाद में करीब 500,000 से ज्यादा पुस्तक प्रेमी आते हैं।
गोखले ने इस महोत्सव को साहित्य का महाकुंभ कहा।
कल्ला ने कहा कि इस महोत्सव ने राज्य के सांस्कृतिक परिदृश्य को बदल करके रख दिया है और इस बात का जिक्र किया कि ज्यादा से ज्यादा लेखक जिनमें से अधिकांश युवा हैं, इस साहित्य महोत्सव से प्रेरित हुए हैं।
इस पांच दिवसीय साहित्य महोत्सव में सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य से लेकर इतिहास, पौराणिक कथाओं और विज्ञान जैसे विषयों पर 350 से ज्यादा सत्र होंगे।
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