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विदेशों में स्थापित अमेरिकी जैविक प्रयोगशालाओं का इरादा क्या है?

विदेशों में स्थापित अमेरिकी जैविक प्रयोगशालाओं का इरादा क्या है?

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बीजिंग, 17 मई (आईएएनएस)। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि चीन और रूस के आसपास देशों में अमेरिका के अनेक जैविक प्रयोगशाला स्थापित किये गये हैं, लेकिन इन प्रयोगशालाओं का अनुसंधान गोपनीय रखा गया है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, अमेरिका ने चीन और रूस के आसपास क्षेत्रों में कुल 15 जैविक प्रयोगशाला स्थापित किये गये हैं। उधर, रूसी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका की गुप्त जैविक प्रयोगशालाएं सोवियत संघ के पूर्व गणराज्यों तथा दूसरे आसपास क्षेत्रों के कुल 27 देशों में स्थित हैं और इनकी बड़ी संख्या भी है। यूक्रेन में ही 15 अमेरिकी जैविक प्रयोगशालाएं स्थापित हैं। दुनिया भर में अमेरिका के कुल 200 से अधिक जैविक प्रयोगशालाएं स्थापित हैं।

वहीं, रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जहरोवा ने अप्रैल में कहा कि अमेरिका ने 'जैव रासायनिक आतंकवाद' से लड़ने की आड़ में रूस के आसपास के क्षेत्रों में जैविक प्रयोगशाला स्थापित किये जिसका मकसद विदेशों में अपने जैव रासायनिक प्रभाव और सैन्य उद्देश्य को मजबूत करना है।

उधर, यूक्रेन में विश्लेषकों का मानना है कि यूक्रेन में स्थापित अमेरिकी जैविक प्रयोगशाला सैन्य वायरस के अनुसंधान में संलग्न हैं, जो पूरे देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा है और सभी अनुसंधान का खर्च पेंटागन द्वारा समर्थित हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिकी सेना के लक्ष्यों की प्राप्ति करना है।

मीडिया रिपोर्ट हैं कि प्रासंगिक प्रयोगशालाएं पूरी तरह से अमेरिका द्वारा नियंत्रित हैं जिनमें विशिष्ट लोगों के लिए खतरनाक बीमारियों का अध्ययन किया जा रहा है और इनके कुछ मुद्दे अमेरिका में निषिद्ध हैं। विशेषज्ञ जानना चाहते हैं कि आखिर विदेशों में स्थापित अमेरिकी जैविक प्रयोगशालाओं का क्या इरादा है? इनमें कैसे वायरस का अध्ययन किया जा रहा है? और इनके कोरोना वायरस महामारी के साथ क्या संबंध हैं?

उधर, अमेरिका में मीडिया रिपोटरें का कहना हैं कि वर्ष 2003 से अमेरिका में स्थापित जीव प्रयोगशालाओं में सैकड़ों दुर्घटनाएं हुईं। अमेरिकी लेखा परीक्षा कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार बीते दस सालों में अमेरिका के पी 3 प्रयोगशालाओं में कुल 400 दुर्घटनाएं हुईं। जैविक प्रयोगशालाओं की सुरक्षा अमेरिकी नियामकों के सामने सबसे बड़ा जोखिम है। मिसाल के तौर पर, वर्ष 2019 के जुलाई में अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र ने अमेरिकी सेना के जैविक और रासायनिक हथियारों के लिए सबसे बड़ा अनुसंधान केंद्र, यानी मैरीलैंड में स्थित फोर्ट डेट्रिक जैविक बेस को बंद किया। कारण था कि यह बेस वायरस नियंत्रण उपायों को सुनिश्चित करने की गारंटी नहीं दे सकता था। अनेक बार दुर्घटनाएं होने की वजह से वर्ष 2014 के अक्टूबर में अमेरिका ने कई वायरस परिवर्तन परियोजनाओं को निलंबित कर दिया जिनमें एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस परिवर्तन प्रयोग भी शामिल है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कंग श्वांग ने कहा कि अमेरिका ने पूर्व सोवियत गणराज्यों में कई जीव प्रयोगशाला स्थापित किये और इनका अध्ययन गोपनीय रखा जिससे आसपास के देशों में गहरी चिन्ता पैदा होने लगी है।

( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

-- आईएएनएस

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