शिमला, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)| वन अधिकार से वंचित 1000 से अधिक लोगों ने हिमाचल प्रदेश के सुदूर किन्नौर जिले के रेकोंग पियो में वन अधिकार कानून को लागू नहीं करने को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। यह विरोध-प्रदर्शन जिला वन अधिकार समिति और हिम लोक जागृति मंच के बैनर तले किया गया, जो वन अधिकार अधिनियम लागू करवाने के लिए पिछले पांच वर्षो से संघर्ष कर रहे हैं।
जिला प्रशासन ने 17 दिसंबर को जिले के लिप्पा गांव में अलग-अलग 47 वनाधिकार दावों को खारिज कर दिया।
जिला वन अधिकार समिति के जियालाल नेगी ने कहा, "जिला-स्तरीय समिति का फैसला केवल एक गांव को लेकर नहीं है। यह वन अधिकार कानून के प्रावधानों नौकरशाही की अनदेखी के साथ-साथ आम जनता के प्रति अधिकारियों के रवैये को दर्शाता है।"
पिछले कुछ समय से, मुख्य रूप से आदिवासियों के वर्चस्व वाले किन्नौर जिले में 'वन अधिकार कानून लागू करो' और 'हमारे गांव में हमारा राज' के नारे गूंज रहे हैं।
विरोध में शामिल जिलास्तरीय समिति के गैर-आधिकारिक सदस्य दौलत राम ने कहा, "प्रत्येक प्रक्रियात्मक कदम पर वन अधिकार अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है, और गैर-आधिकारिक सदस्यों की आवाज को नजरअंदाज किया जाता है।"
लिप्पा गांव में भी सभी गैर-आधिकारिक सदस्यों ने आधिकारिक सदस्यों के फैसले को स्वीकार करने से मना कर दिया।
अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन अधिवासी (वन अधिकार को मान्यता) अधिनियम 2006 का लक्ष्य वन निवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय का निवारण करना है।
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