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जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की बस्ती हटाने का नहीं है ये वीडियो

ये वीडियो Covid-19 महामारी के दौरान इलाके में हुए अवैध निर्माण को हटाने का है. इसका रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें कुछ अधिकारी जेसीबी मशीनों से आधे-अधूरे बने मकानों और संरचनाओं को गिराते हुए दिख रहे हैं. इसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में "रोहिंग्या मुसलमानों" के घर गिराए जा रहे हैं.

वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे टेक्स्ट के मुताबिक, ये अभियान "रोशनी एक्ट" के तहत बसाई गई बस्ती को हटाने के लिए चलाया गया है. हालांकि, हमने पाया कि वीडियो में दिख रहे विजुअल का रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है.

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क्विंट की वेबकूफ टीम से जम्मू और कश्मीर लेक्स एंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी (Lakes & Waterways Development Authority) के इनफोर्समेंट ऑफिसर (डिप्टी एसपी) अब्दुल अजीज कादरी ने बताया कि विभाग, क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए ये अभियान चलाता है.

दावा

वीडियो शेयर कर लिखा जा रहा है, “जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या जेहादियों की रोशनी एक्ट के तहत बसाई गई बस्ती उखाड़ी जा रही है |”

ये वीडियो Covid-19 महामारी के दौरान इलाके में हुए अवैध निर्माण को हटाने का है. इसका रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

इस पोस्ट को आर्टिकल लिखते समय तक 10 लाख से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है. ये वीडियो इसी दावे के साथ फेसबुक पर भी शेयर किया गया है.

ये वीडियो Covid-19 महामारी के दौरान इलाके में हुए अवैध निर्माण को हटाने का है. इसका रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है

फेसबुक पर भी काफी शेयर किया गया है ये दावा

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

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पड़ताल में हमने क्या पाया

हमने InVid के गूगल क्रोम एक्सटेंशन का इस्तेमाल करके वीडियो को कई कीफ्रेम में बांटा और उन पर रिवर्स इमेज सर्च करके देखा. हमें यूट्यूब पर 5 जून को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. इसे Fast Kashmir नाम के चैनल ने अपलोड किया था.

वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि ये लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी का चलाया एक अभियान था.

ये वीडियो Covid-19 महामारी के दौरान इलाके में हुए अवैध निर्माण को हटाने का है. इसका रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है

ये वीडियो 5 जून को अपलोड किया गया था

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)

इस वायरल वीडियो में Jammu Links News का लोगो था. इसलिए, हमने उनका यूट्यूब चैनल ढूंढा और पाया कि ये वीडियो 5 जून को अपलोड किया गया था.

वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया था कि लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अपने इनफोर्समेंट विंग के माध्यम से लश्करी मोहल्ला, दोजी मोहल्ला, बुरझामा और निशात क्षेत्रों में कई अवैध निर्माणों को गिराया.

हमें इस घटना पर और भी कई रिपोर्ट्स और वीडियो मिले. जिनमें बताया गया था कि कोविड महामारी के दौरान अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई थी.

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इसके बाद हमने लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी के इनफोर्समेंट ऑफिसर अब्दुल अजीज कादरी से संपर्क किया, जिन्होंने हमें बताया कि दावा सच नहीं है.

ये नियमित तौर पर चलने वाले अभियान हैं. इन्हें हम क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को हटाने के लिए करते हैं. हम डल और दूसरे ग्रीन बेल्ट एरिया के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं. इसलिए, हम उन जगहों से अवैध संरचनाओं को हटाते हैं/गिराते हैं जहां निर्माण की अनुमति नहीं है.
इनफोर्समेंट ऑफिसर अब्दुल अजीज कादरी, लेक्स ऐंड वाटरवेज डेवलपमेंट अथॉरिटी

कादरी ने बताया कि उन्होंने लाल बाजार इलाके में एक और अभियान चलाया. हमने एक स्थानीय रिपोर्टर से भी संपर्क किया. रिपोर्टर ने भी वही जानकारी दी जो कादरी ने दी. रिपोर्टर ने बताया कि वीडियो का रोहिंग्याओं से कोई लेना-देना नहीं है.

मतलब साफ है कि जम्मू कश्मीर के इस वीडियो में कुछ अधिकारी उन कुछ मकानों और संरचनाओं को गिराते हुए दिख रहे हैं जो अवैध थीं, इस वीडियो का रोहिंग्याओं से कोई संबंध नहीं है.

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