नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा कर दिया है. इस बीच, छात्रों पर पुलिस की क्रूरता दिखाने वाले कई फोटो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहे हैं.
दावा
एक ऐसी ही तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी एक प्रदर्शनकारी को अपने जूते तले रौंदते हुए दिखाई दे रहा है. तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि इसमें नजर आ रहा पुलिस अधिकारी एक IPS अधिकारी है. साथ में कैप्शन लिखा है- “क्या यह एक IPS अधिकारी है? क्या इन्हें SVPNA में यही पढ़ाया गया है? दिल्ली पुलिस पर शर्म आती है. #JamiaProtest”
सही या गलत?
द क्विंट पुष्टि कर सकता है कि यह एक पुरानी तस्वीर है और इसे भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. तस्वीर लखनऊ से है और 9 मार्च 2011 को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की गिरफ्तारी के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान खींची गई थी. इस प्रदर्शन को समाजवादी पार्टी की यूथ विंग लोहिया वाहिनी ने आयोजित किया था.
पड़ताल में क्या मिला?
रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें घटना के बारे में एक न्यूज क्लिपिंग मिली. न्यूज क्लिपिंग के मुताबिक ये घटना लखनऊ के हजरतगंज इलाके में समाजवादी पार्टी द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी.
फोटो में मौजूद पुलिस अधिकारी की पहचान डीआईजी डीके ठाकुर के रूप में हुई. यहां से मिले संकेतों के आधार पर हमने ‘Lucknow DIG DK Thakur Tramples Youth at Samajwadi Party protests’ जैसे कीवर्ड का इस्तेमाल करते हुए गूगल पर सर्च किया.
इससे आखिरकार हम कैच न्यूज नाम की एक समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट तक पहुंचे, जिसमें पूरी घटना का विस्तार से ब्यौरा दिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के युवा विंग द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान, तत्कालीन लखनऊ डीआईजी, डीके ठाकुर ने लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद भदौरिया को मैदान में धकेल दिया और अपने जूते से उनका चेहरा कुचलने की कोशिश की.
द क्विंट ने समाजवादी पार्टी नेता अनुराग भदौरिया से इस बारे में संपर्क किया, जिन्होंने इस घटना की पुष्टि की.
“जब यह तस्वीर ली गई तो मैं विरोध प्रदर्शन में मौजूद था. डीआईजी ने आनंद भदौरिया को मैदान में पटक दिया और उन्हें अपने जूते से रौंद डाला. इस मामले में एक एनएचआरसी जांच भी शुरू की गई थी.”-अनुराग भदौरिया, समाजवादी पार्टी के नेता
हमें पता चला कि इस घटना में पुलिस लाठीचार्ज इतना क्रूर था कि मौके पर ली गई तस्वीरों के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डीके ठाकुर को नोटिस जारी किया था.
पहले भी हुआ है तस्वीर का गलत इस्तेमाल
पहले भी इसी तस्वीर को कई भामक दावों के साथ शेयर किया गया है. कश्मीर में आर्टिकल 370 को रद्द करने के बाद इसी तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया गया था कि यह घाटी में पुलिस की बर्बरता को दिखाता है.
इसी तरह, पहले यह भी दावा किया गया कि ये तस्वीर 2013 की है, जब पुलिस ने निर्भया केस के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की.
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