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शाहरुख ने लता जी की अंतिम विदाई में फातेहा पढ़कर फूका था, थूका नहीं

इस्लाम धर्म में किसी की शोक सभा या कब्र पर उसकी आगे की यात्रा बेहतर होने की दुआ मांगते हुए इस तरह फूकने की परंपरा है

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स्वर सम्राज्ञी लता मंगेश्कर (Lata Mangeshkar) के 6 फरवरी को हुए निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे एक्टर शाहरुख खान (Shahrukh Khan) का वीडियो काफी वायरल है. वीडियो में वो हाथ उठाए दुआ करते नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने ये दावा किया कि शाहरुख खान ने दुआ पढ़ते हुए बीच में थूका.

हालांकि, ये सच नहीं है. वीडियो को गौर से देखने पर समझ आता है कि शाहरुख थूक नहीं रहे बल्कि मास्क उतारकर फातिहा पढ़ने के बाद फूंक रहे हैं. क्विंट से बातचीत में जामा मस्जिद भागलपुर के इमाम मुफ्ती फुजैल अख्तर ने भी पुष्टि की कि ये इस्लाम धर्म की प्रैक्टिक का एक हिस्सा है, जिसका जिक्र धार्मिक किताबों में भी है.

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अरुण यादव के ट्वीट से शुरू हुई थूक और फूक पर बहस

बीजेपी नेता अरुण यादव ने वीडियो को शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा - क्या इसने थूका है?. अरुण यादव के ट्वीट के बाद से ही सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई. अरुण यादव के शेयर किए गए इस वीडियो को रिपोर्ट लिखे जाने तक 23 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.

सुदर्शन न्यूज के बुलेटिन में भी ऐसे यूजर्स को फोन पर आमंत्रित किया गया जो मानते हैं कि शाहरुख खान ने थूका था. सुदर्शन न्यूज का ये वीडियो कई वेरिफाइड हैंडल्स से शेयर हुआ. कई अन्य यूजर्स ने भी वीडियो को इसी दावे से शेयर किया. ऐसे पोस्ट्स का अर्काइव यहां और यहां देख सकते हैं.

इस्लाम धर्म में किसी की शोक सभा या कब्र पर उसकी आगे की यात्रा बेहतर होने की दुआ मांगते हुए इस तरह फूकने की परंपरा है

पोस्ट का अर्काइव यहां देखें

सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटर

दुआ उस तक पहुंचे, जिसके लिए पढ़ी गई, इसलिए फूका जाता है

इस्लाम धर्म में दुआ पढ़ने के बाद फूकने की परंपरा के पीछे क्या मान्यता है ये समझने के लिए हमने भागलपुर जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती फुजैल अख्तर से संपर्क किया.

किसी की मृत्यू के बाद जब हम उसकी शोक सभा में या कब्र पर जाते हैं तो दुआ करते हैं कि अल्लाह उनकी आगे की यात्रा अच्छी बनाए. इस दौरान कई तरह की दुआएं पढ़ी जाती हैं. जैसे सूरा फातेहा, इन्हें पढ़ने के बाद लोग हवा में फूकते हैं. अब इसकी कोई लॉजिकल व्याख्या तो नहीं है, लेकिन ऐसी मान्यता है फूककर ये सुनिश्चित हो जाता है कि दुआ पढ़ने वाले व्यक्ति के मुंह से निकली दुआ उस तक पहुंच गई जिसके लिए पढ़ी गई थी. इस्लाम धर्म की किताबों में इसका जिक्र भी है.
मुफ्ती फुजैल अख्तर, इमाम और खातिब, जामा मस्जिद, भागलपुर
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सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने भी ये कहा है कि इस्लाम धर्म में फातेहा पढ़ने के बाद फूकने की परंपरा रही है.

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सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे एक नहीं कई फर्जी दावे किए जाते हैं, जो सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का काम करते हैं. क्विंट की वेबकूफ टीम इन सभी दावों की पड़ताल कर सच आप तक पहुंचाती है.

(अगर आपके पास ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या मेल आइडी WEBQOOF@THEQUINT.COM पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं )

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