अफगानिस्तान के राष्ट्रपति Ashraf Ghani के काबुल छोड़कर चले जाने के बाद, 15 अगस्त को काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन में तालिबान ने कब्जा कर लिया. ऐसे समय में अफगानिस्तान से जुड़ी फेक न्यूज सोशल मीडिया पर शेयर होने लगीं.
कभी किसी ग्राफिक डिजाइनर के एडिटेड वीडियो को ये कहकर शेयर किया गया कि तालिबान से बचने के लिए एक शख्स हवा में उड़ते प्लेन के पंखों में सवार हो गया तो कभी कई साल पुरानी ऐसी फोटो को अफगानिस्तान से जोड़कर शेयर किया गया जिसका अफगानिस्तान से कोई संबंध ही नहीं है.
ऐसी ही तमाम फेक न्यूज की पड़ताल कर क्विंट की वेबकूफ टीम ने सच आप तक पहुंचाया. एक नजर में जानिए इस हफ्ते सोशल मीडिया पर किए गए झूठे दावों का सच.
अफगानिस्तान में तालिबान से बचने प्लेन के ऊपर नहीं चढ़ा ये शख्स, एडिटेड है वीडियो
हवा में उड़ते प्लेन के टरबाइन पर लेटे एक शख्स का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि ये Afghanistan का शख्स प्लेन के पंखों पर तालिबान से बचने के लिए सवार है.
ये दावा झूठा है. हमने पाया कि वीडियो को डिजिटली बनाया गया है. इसे एक वियतनामी ग्राफिक डिजाइनर 'Huy Xuân Mai' ने बनाया है. इस वीडियो का अफगानिस्तान संकट से कोई संबंध नहीं है.
पड़ताल में हमें 19 अगस्त 2020 का एक इंस्टाग्राम पोस्ट मिला. इस पोस्ट में इस वीडियो का इस्तेमाल किया गया था. क्लिप के आखिर में 'Huy Xuân Mai' यूजरनेम दिखाई देता है.
हमें फिलिपीन्स की लाइफस्टाइल वेबसाइट Spot की एक रिपोर्ट मिली.
इस आर्टिकल में वायरल क्लिप वाला एक फेसबुक वीडियो इस्तेमाल किया गया था. साथ ही, 'Huy Xuân Mai' की पहचान के ग्राफिक डिजाइनर के रूप में की गई थी. यहां से हम डिजाइनर के वेरिफाइड फेसबुक पेज पर पहुंचे. ये वीडियो 17 अगस्त 2020 को अपलोड किया गया था.
'Huy Xuân Mai' के फेसबुक पेज और भी ऐसे वीडियो हैं जिनमें वो प्लेन के पंखों पर खाना बनाते और आराम करते हुए देखे जा सकते हैं.
मतलब साफ है कि वायरल वीडियो एडिटिंग स्किल का इस्तेमाल कर बनाया गया है. इसका अफगानिस्तान से कोई संंबंध नहीं है.
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Afghanistan से एयरलिफ्ट हुए भारतीयों की बताई जा रही फोटो, 8 साल पुरानी है
सोशल मीडिया पर Afghanistan की राजधानी काबुल की बताकर एक फोटो वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना के C-17 एयरक्राफ्ट ने काबुल से 800 लोगों को एयरलिफ्ट कर रिकॉर्ड कायम कर लिया ह
वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें अमेरिकी वायुसेना की ऑफिशियल वेबसाइट पर यही फोटो मिली. वेबसाइट पर दी गई जानकारी से पता चलता है कि फोटो साल 2013 की है.
कैप्शन से पता चलता है कि ये फोटो फिलीपींस में प्राकृतिक आपदा के बीच रेस्क्यू किए गए लोगों की है. नवंबर 2013 में फिलीपींस में सुपर टाइफून हैयान की वजह से जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया था. अमेरिकी वायु सेना ने इस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर कई लोगों की जान बचाई थी. तस्वीर इसी ऑपरेशन की है.
ये सच है कि IAF C-17 एयरक्राफ्ट काबुल से भारतीयों को लाया
ये सच है कि भारतीय वायु सेना का C-17 एयरक्राफ्ट अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को लेकर भारत आया. 17 अगस्त को एयरक्राफ्ट गुजरात के जामनगर में लैंड हुआ. लेकिन, ये दावा झूठा है कि एयरक्राफ्ट ने 800 लोगों को एक बार में एयरलिफ्ट करके रिकॉर्ड कायम किया.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, काबुल से भारतीय आए विमान में 120 भारतीय थे.
मतलब साफ है सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा भ्रामक है कि भारतीय एयरक्राफ्ट ने काबुल से 800 लोगों को एक ही एयरक्राफ्ट में लाकर रिकॉर्ड कायम किया. साथ ही वायरल हो रही फोटो 8 साल पुरानी है. इसका अफगानिस्तान से कोई संबंध नहीं है.
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Afghanistan: राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने का नहीं है ये वीडियो
Afghanistan के राष्ट्रपति Ashraf Ghani को एक प्लेन में बैठते दिखाता एक वीडियो, सोशल मीडिया पर इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये वीडियो 15 अगस्त का है, जब Taliban काबुल में घुसा गया था और अशरफ देश छोड़कर भाग रहे थे.
पड़ताल में ये दावा झूठा निकला. हमें अफगानिस्तान के न्यूज आउटलेट TOLOnews के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया गया यही वीडियो मिला. 15 जुलाई को पोस्ट किए गए ट्वीट में लिखा था, "राष्ट्रपति भवन से मिली जानकारी के मुताबिक "राष्ट्रपति अशरफ गनी उज्बेकिस्तान की दो दिवसीय यात्रा के लिए आज सुबह काबुल से रवाना हुए.''
इस यात्रा पर अफगानिस्तान सरकार की ओर से एक ऑफिशियल बयान भी जारी किया गया था. पोस्ट का टाइटल था, ''राष्ट्रपति गनी काबुल से उज्बेकिस्तान के लिए रवाना''. इस पोस्ट में वीडियो का स्क्रीनशॉट भी इस्तेमाल किया गया था.
मतलब साफ है कि राष्ट्रपति गनी के एक प्लेन में सवार होने के पुराने वीडियो को इस झूठे दावे से शेयर किया जा रहा है कि ये वीडियो उस दौरान का है जब राष्ट्रपति अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे थे.
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तालिबानी आतंकियों के मास्क पहनने पर CNN ने नहीं की तारीफ, झूठा दावा वायरल
सोशल मीडिया पर न्यूज चैनल CNN के नाम पर एक आर्टिकल की फोटो शेयर कर दावा किया गया कि जब Taliban ने Afghanistan की घेराबंदी की, तब इस इंटरनेशनल न्यूज चैनल ने हमलों के दौरान मास्क पहने रहने की वजह से तालिबानी समूह की तारीफ की है.
पड़ताल में हमने पाया कि ये आर्टिकल Babylon Bee नाम की एक वेबसाइट का है, जो खुद को 'दुनिया की सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य साइट' बताती है.
हमने 'Babylon Bee' वेबसाइट सर्च करके, उसका होमपेज चेक किया. हमें वेबसाइट के होमपेज पर यही आर्टिकल मिला.
वेबसाइट के ट्विटर हैंडल से भी इस आर्टिकल को शेयर किया गया था. इसके हैंडल के बायो में लिखा है, "Fake news you can trust" ( ऐसी फेक खबरें जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं)
हमें 15 अगस्त 2012 को पब्लिश BBC के एक आर्टिकल में ये फोटो मिली. फोटो के कैप्शन में लिखा था, ''2007 में मौलाना फजलुल्लाह के नेतृत्व में तालिबान ने स्वात पर कब्जा कर लिया.''
मतलब साफ है कि ऐसे समय में जब अफगानिस्तान संकट से जूझ रहा है, सोशल मीडिया पर एक सटायर वेबसाइट के आर्टिकल की फोटो गलत दावे से शेयर की जा रही है.
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Afghanistan के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करते तालिबान का नहीं है ये वीडियो
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कुछ लोग हवा में बंदूक चलाते और सड़कों पर 'अल्लाहु अकबर' के नारे लगाते दिख रहे हैं. वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वीडियो में Taliban को Afghanistan के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करते हुए देखा जा सकता है.
ये दावा झूठा है क्योंकि वीडियो में जो झंडा दिख रहा है वो अफगानिस्तान का नहीं, बल्कि सीरिया का है.
हमें अरबी चैनल Orient TV के यूट्यूब चैनल पर 29 मार्च 2019 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. वीडियो के कैप्शन में लिखा था, ''सीरियाई क्रांति के इतिहास से अविस्मरणीय क्षण, इदलिब की मुक्ति."
हमें Al Jazeera पर इस घटना से संबंधित 2015 की एक न्यूज रिपोर्ट भी मिली. इस रिपोर्ट का टाइटल था, ''सीरियाई विद्रोहियों ने संयुक्त आक्रमण कर किया इदलिब शहर पर कब्जा". इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो की क्लिप का भी इस्तेमाल किया गया था.
ये सच है कि तालिबान ने राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद, 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में घुसकर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है, लेकिन ये वीडियो इस घटना से संबंधित नहीं है.
ये वीडियो न तो अफगानिस्तान का है और न ही हाल का है. सीरिया का वीडियो गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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