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राउंडअप:ममता के पैर में चोट नहीं? ट्रेनें रद्द? झूठे दावों का सच

पिछले सप्ताह हमने जिन फेक खबरों की पड़ताल की, आपको जानना जरूरी है. 

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सोशल मीडिया में हर रोज कोई न कोई ऐसा दावा वायरल होता है जो या तो फेक होता है या भ्रामक. कभी कहीं की फोटो या वीडियो किसी दूसरी जगह का बताकर सांप्रदायिक ऐंगल से शेयर किया जाता है तो कभी मॉर्फ्ड फोटो या वीडियो का इस्तेमाल कर फेक दावे किए जाते हैं. वेबकूफ ऐसी खबरों की पड़ताल कर सच आपके सामने लाता है. ऐसी ही कुछ फेक खबरों पर नजर डालते हैं जिनकी पड़ताल क्विंट ने इस सप्ताह की.

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मंदिर में पेशाब करते शख्स का वीडियो झूठे सांप्रदायिक दावे से वायरल

मंदिर में घुसकर पेशाब करते एक युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर झूठे सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा है. कई यूजर्स ने दावा किया कि वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम है और वो हिंदू मंदिर का अपमान कर रहा है. वीडियो ऐसे समय शेयर किया जा रहा है जब यूपी में मंदिर में पानी पीने गए 14 साल के बच्चे के साथ कथित मारपीट का मामला सामने आया है.

पड़ताल में हमने पाया कि ये वीडियो हाल का नहीं है. इसे Top Most Media के यूट्यूब चैनल पर 11 अप्रैल, 2018 को अपलोड किया गया था. हमें लोकल न्यूज चैनल ABN Telugu पर भी अप्रैल, 2018 में अपलोड किया गया यही वीडियो मिला. इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक वीडियो आंध्र प्रदेश के अनकापल्ले जिले के गांव पिसिनकाड़ा का है. तेलुगू वेबसाइट आंद्रज्योति में भी इस घटना की रिपोर्ट है.

हमने अनकापल्ले के एडिशनल सब इंसपेक्टर ए वेंकटेश्वर राव से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि

वीडियो में दिख रहे लोग मुस्लिम नहीं हैं. घटना साल 2018 की है. आरोपी 16 वर्षीय दो नाबालिग लड़के हैं. इनकी पहचान सुब्रमण्यम कॉलोनी के रहने वाले जगन्नाथ रमेश और कृष्णापुरम के रहने वाले देसारी आनंद के रूप में हुई थी. आनंद ने ही ये वीडियो रिकॉर्ड किया था.

मतलब साफ है सांप्रदायिक रंग देते हुए सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि वायरल वीडियो में दिख रहा लड़का मुस्लिम है.

पूरी पड़ताल यहां पढ़ें

प्लास्टर लगने के अगले दिन चलने लगीं ममता-इस दावे से फेक फोटो वायरल

पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल हुईं ममता बनर्जी की चोट को महज वोट जुटाने का हथकंडा साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर उनकी फेक फोटो शेयर की जा रही हैं. ऐसे ही एक फोटो में ममता बनर्जी चलती दिख रही हैं और पीछे व्हील चेयर रखी हुई है. दावा है कि प्लास्टर लगने के अगले ही दिन ममता बनर्जी अपने पैरों पर खड़ी हो गईं.

पड़ताल में हमें हिंदुस्तान टाइम्स की 14 मार्च, 2021 की रिपोर्ट में इस फोटो का असली वर्जन मिला. इसमें ममता बनर्जी व्हील चेयर पर बैठी दिख रही हैं.

Getty Images की वेबसाइट पर हमें व्हील चेयर पर बैठे हुए ममता बनर्जी की एक दूसरे एंगल से ली गई फोटो मिली. बैकग्राउंड में वही लोग दिख रहे हैं जो वायरल फोटो में हैं. इससे साफ होता है कि एडिटिंग के जरिए ममता बनर्जी की एक अन्य फोटो को इसमें जोड़ा गया.

चलते हुए ममता बनर्जी की फोटो का असली वर्जन हमें रायटर्स की वेबसाइट पर मिला. इसी फोटो को एडिट कर 12 मार्च की फोटो में जोड़ा गया है. असल में ममता बनर्जी की ये फोटो 13 जून, 2012 को दिल्ली में सोनिया गांधी के आवास से बाहर निकलते वक्त की है.

साफ है कि ममता बनर्जी की दो अलग-अलग तस्वीरों को एडिट कर ये झूठा दावा किया जा रहा है कि वे पैर पर प्लास्टर लगने के अगले ही दिन चलने लगीं.

पूरी पड़ताल यहां पढ़ें

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पंजाब में सभी BJP विधायक कांग्रेस में नहीं हुए शामिल, गलत है दावा

सोशल मीडिया पर एक खबर इस दावे से वायरल हो रही है कि पंजाब में तीनों बीजेपी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और अब पंजाब में बीजेपी '0' हो गई है. फेसबुक पर कई सोशल मीडिया यूजर्स इस कैप्शन के साथ दावा कर रहे हैं कि: 'पंजाब के तीनों भाजपा विधायक होंगे कांग्रेस में शामिल, अब पंजाब में बीजेपी 00'.

पड़ताल में हमने पाया कि पंजाब में बीजेपी के तीन नहीं 2 विधायक हैं. Punjab legislative Assembly वेबसाइट में इस बारे में जानकारी देखी जा सकती है.

इसके बाद वेबकूफ टीम ने पंजाब बीजेपी के दोनों विधायकों से फोन पर संपर्क किया. सुजानपुर से बीजेपी विधायक दिनेश सिंह और अबोहर के बीजेपी विधायक अरुण नारंग ने इस खबर को फेक बताया. हमने पंजाब बीजेपी के स्टेट प्रेसीडेंट अश्वनी शर्मा से भी संपर्क किया. उन्होंने भी इस दावे को फेक बताते हुए कहा कि ये पूरी तरह से गलत है.

मतलब साफ है कि पंजाब में बीजेपी के विधायक कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं. खबर को गलत दावे शेयर किया जा रहा है.

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गाजियाबाद में मुस्लिम बच्चे की पिटाई से जुड़ी नहीं है ये तस्वीर

हाल ही में गाजियाबाद के एक मंदिर में पानी पीने गए एक बच्चे को बुरे तरीके से पीटते एक शख्स का वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद पुलिस ने शख्स को गिरफ्तार कर लिया. इस खबर के आने के कुछ ही घंटो में सोशल मीडिया पर कई यूजर्स एक बच्चे की फोटो शेयर कर रहे हैं. और दावा कर रहे हैं कि फोटो में दिख रहा बच्चा गाजियाबाद का वही लड़का है. फोटो में एक लड़का दिख रहा है जिसकी पीठ पर चोट के कई निशान हैं.

हालांकि, वेबकूफ टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये फोटो गाजियाबाद के उस लड़के की नहीं बल्कि यमन के अल-महवित प्रांत के एक बच्चे की है. जिसे उसके पिता ने काफी पुरी तरह से पीटा था. हमें संबंधित घटना से जुड़े कुछ मीडिया रिपोर्ट भी मिलीं. जिनमें बताया गया था कि

यमन में शामाख रशीद नाम के बच्चे को उसके पिता ने बच्चे की सौतेली मां के कहने पर पीटा. रिपोर्ट में कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का हवाला देकर ये लिखा गया है कि पिता बच्चे को हूथी आंदोलन में शामिल होने के लिए कह रहा था लेकिन उसने मना कर दिया. इसलिए पिता ने बच्चे को पुरी तरह से पीटा.

सोशल मीडिया पर वायरल ये तस्वीरें करीब 1 साल पुरानी यानी अक्टूबर 2020 की हैं. जबकि ये घटना 11 मार्च 2021 को हुई. मतलब साफ है कि यमन के अल महवित प्रांत की पुरानी तस्वीर को हाल का बताकर सोशल मीडिया पर इस गलत दावे से शेयर की जा रही हैं कि ये तस्वीरें गाजियाबाद में पीटे गए बच्चे की चोट की तस्वीरें हैं.

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रेलवे ने ट्रेन रद्द करने का नहीं किया है ऐलान, फेक स्क्रीनशॉट वायरल

कोरोना और लॉकडाउन को लेकर कई तरह की फेक खबरें फैल रही हैं. इस बीच एक और भ्रामक खबर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि 31 मार्च तक सभी ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं. इस खबर का वीडियो शेयर कर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है.

हमने यूट्यूब पर कीवर्ड '31 मार्च तक ट्रेनें रद्द' सर्च किया. हमें 22 मार्च 2020 को ABP News चैनल पर अपलोड किया गया वही वीडियो मिला जिसे हाल में शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो में एंकर ये बताते हुए नजर आ रहे हैं कि 31 मार्च तक सभी ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. ऐसा बढ़ते कोरोना वायरस की वजह से किया गया है.

हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. लेकिन इनमें से कोई भी रिपोर्ट साल 2021 की नहीं थी. सभी रिपोर्ट्स पिछले साल 2020 की थीं.

इसके अलावा रेल मंत्रालय ने सोमवार 15 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी की. इस रिलीज में बताया गया है कि कि 31 मार्च से सभी ट्रेनों के रद्द होने से जुड़ी खबरें भ्रामक हैं. फैक्ट चेक वेबसाइट PIB Fact Check ने भी इस खबर को भ्रामक बताया है.

मतलब साफ है कि पिछले साल के वीडियो को हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है, जिससे लोगों में भ्रम फैल रहा है कि पूरे देश में ट्रेन रद्द की जा रही हैं. वीडियो साल 2020 का है, जिसे हाल का बताया जा रहा है. ये जानकारी भ्रामक है.

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