पिछले साल अक्टूबर में जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सिद्धांतों को संविधान में शामिल करने का फैसला किया गया तभी यह साबित हो गया था कि अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने खुद को कितना ताकतवर बना लिया है.
रविवार को जब सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी ने चीनी राष्ट्रपति को 2023 के बाद भी राष्ट्रपति बनाए रखने का संकेत देने वाली पेशकश की तो भले ही दुनिया को आश्चर्य हुआ हो लेकिन चीन के लोग सहज दिखे.
आखिर शी जिनपिंग ने ऐसा क्या किया कि पांच साल के अंदर ही वह चीन के अब तक के इतिहास के सबसे बड़े नेता माओत्से तुंग के करीब पहुंच गए. ऐसा क्या हुआ कि शी जिनपिंग के सिद्धांतों को संविधान में शामिल करने का फैसला कर लिया गया. जबकि, इससे पहले तक सिर्फ माओत्से तुंग के विचार और चीन में आर्थिक उदारीकरण के जनक देंग जियाओपिंग के सिद्धांतों को ही संविधान में शामिल किया गया था. अब चीन के बच्चे स्कूलों में शी सिद्धांत पढ़ेंगे.
जिनपिंग को 2023 के बाद भी सत्ता की बागडोर देने की पेशकश न सिर्फ चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए इतिहास का एक बड़ा मोड़ साबित होने वाली है. लोग यह जानने को बेताब हैं कि शी जिनपिंग को आखिर किन चीजों ने इतना ताकतवर बना दिया कि वह चीन की तकदीर लिखने के साथ ही मौजूदा दुनिया को भी एक नई शक्ल देने की हैसियत में पहुंच गए हैं. जिनपिंग की ताकत और दुनिया में उनकी हैसियत का अंदाजा इन दस बातों से लगाया जा सकता है.
चाइनीज ड्रीम और जिनपिंग विजन
- शी जिनपिंग 2021 तक चीन की जीडीपी को 2010 की जीडीपी से दोगुना करना चाहते हैं और इसे दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाना चाहते हैं. 2035 तक वह इसकी आर्थिक विकास दर बनाए रखना चाहते हैं. 2049 तक वह चीनी मूल्यों पर आधारित एक ऐसा आधुनिक समाजवादी चीन का निर्माण करना चाहते हैं जो सैन्य, आर्थिक और सांस्कृतिक तौर पर दुनिया का सबसे मजबूत देश बन जाएगा. यह चाइनीज ड्रीम है. इस ड्रीम और विजन ने ही जिनपिंग को दुनिया के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार करा दिया है. जिनपिंग अब ट्रंप और पुतिन की तरह ताकतवर हो गए हैं और कहीं-कहीं उन्हें ट्रंप से भी बड़े कद का नेता माना जा रहा है
- शी जिनपिंग ने सत्ता में आते चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ बेहद निर्मम अभियान चलाया. किसी को अंदाजा नहीं था करप्शन में गले तक डूबी कम्युनिस्ट पार्टी को जिनपिंग हिला कर रख देंगे. जिनपिंग के नेतृत्व में चाऊ योंगकोंग और बो शिलाई जैसे बड़े नेताओं को सजा दी गई है. इससे चीनी जनता में यह विश्वास जगा कि जिनपिंग भ्रष्टाचार को उखाड़ फेकेंगे और चीन को एक मिडिल इनकम वाले देश से अमेरिका जैसी आर्थिक हैसियत तक पहुंचा देंगे.
अमेरिका नतमस्तक
- चीन दुनिया का सबसे बड़ा आयातक भी और निर्यातक भी. एक वक्त में अमेरिकी निवेश की वजह से चीन की विकास दर को काफी रफ्तार मिली. लेकिन अब अमेरिका चीनी सामानों को सबसे बड़ा बाजार बन चुका है. आज की तारीख में अमेरिका चीन से अपने सबसे कठिन आर्थिक युद्ध में उलझा हुआ है. चीन के पास डॉलर का विशाल भंडार है और वह अमेरिकी बांड का सबसे बड़ा खरीदार भी है. अमेरिका खुल कर चीन से टकराव मोल लेने की हालत में नहीं हैं. अमेरिका का वैश्विक असर उतार पर है और चीन का ग्लोबल पावर बढ़ रहा है. अमेरिकी पत्रिका टाइम ने पिछले साल लिखा कि ट्रंप जिनपिंग की खुशामद करते हैं. ट्रंप ने कभी कहा था कि चीन अमेरिका का रेप करता है. लेकिन सत्ता में आते ही उनके सुर बदल गए और आज की तारीख में वह जिनपिंग के सबसे बड़े फैन है.एक अमेरिकी विशेषज्ञ ने लिखा कि खुद जिनपिंग भी अपने इतने बड़े फैन नहीं हैं.
- बरसों तक दूसरे विकासशील देशों के लोगों की तरह आम चीनियों के मन में अमेरिकन ड्रीम समाया रहता था. आप्रवासियों के तौर पर चीनियों की बड़ी आबादी अमेरिका में है. लेकिन पिछले सात-आठ साल में तस्वीर तेजी से बदली है और बड़ी तादाद में चीनी घर लौट रहे हैं क्योंकि उनका अमेरिकन ड्रीम अपने देश में ही पूरा हो रहा है. जिनपिंग के नेतृत्व में हाल के दिनों में चीनी विश्वविद्लायों में बहुत बड़ा निवेश हुआ है और बाहर से घर लौटने वाले प्रोफेसरों को भारी वेतन दिया जा रहा है. अमेरिकी में आज की तारीख में सबसे ज्यादा पेटेंट चीनी विश्वविद्यालयों के हैं. जिनपिंग के सत्ता में आते ही चीनी मूल्य और राष्ट्रवाद दोनों उफान पर हैं.
सोवियत संघ के पतन से सबक
- शी चीन को चीनी मूल्य के दम पर दुनिया का सिरमौर बनाना चाहते हैं. वह अक्सर चीन की जनता से अपील करते हैं वे चीनी जीवन मूल्यों को अपनाएं. पश्चिमी सोच से प्रभावित न हों. वह कहते हैं कि अगर हम दूसरे की नकल करेंगे तो अपनी पहचान खो बैठेंगे. वह कहते हैं चीन के कम्युनिस्ट इन्कलाब का सम्मान करें. चीन की संस्कृति और मूल्यों को समझें. कई सदियों से औपनिवेशक ताकतों के हाथों सताए चीन के गौरव को वापस लाना चाहते हैं और चीन के सपनों को भी सच करना चाहते हैं.
- जिनपिंग का कम्युनिस्ट समाजवाद अलग तरह है. वह संतुलन बनाए रखना चाहते हैं. वह मार्क्स और एंगेल्स के सिद्धातों के साथ चीन के महान नेत देंग जियाओपिंग के आर्थिक उदारीकरण को समेट कर आगे बढ़ रहे हैं. सोवियत विघटन से भी उन्होंने सबक लिया है. शी के मुताबिक सोवियत संघ का पतन इसलिए हुआ क्योंकि वो अपना मक़सद भूल गया. अपने लक्ष्य से भटक गया. देंग ने कहा था कि जब तक पूरी ताकत हासिल न कर लो. दुनिया के सामने पेश मत हो. खुद को लो प्रोफाइल रखो. लेकिन लगता है कि चीन ने अब बाहर निकल कर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने की स्थिति में आ गया है. जिनपिंग यही कर रहे हैं.
ग्लोबल इकनॉमी का नया झंडाबरदार
- अमेरिका समेत जब सारी दुनिया संरक्षणवाद की तरफ बढ़ रही है तो चीन ग्लोबल अर्थव्यवस्था का झंडाबरदार बनने का दावा कर रहा है. पिछली बार डावोस में जिनपिंग ने संरक्षणवाद को दुनिया को पीछे ले जाने वाला बताया था और चीनी नेतृत्व में दुनिया से आगे बढ़ने की अपील की थी. साफ है कि चीन अब खुद को दुनिया का लीडर समझ रहा है. जब अमेरिका ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप से पीछे हट गया तो जिनपिंग ने कहा कि हम दुनिया को ग्लोबल अर्थव्यवस्था की नई राह दिखाएंगे.
- चीन के आर्थिक नेतृत्व की महत्वाकांक्षा का सबूत है 900 अरब डॉलर का वन बेल्ट वन रोड या बेल्ट रोड इनिशिएटिव. यह इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट चीन को एशिया, यूरोप और अफ्रीका तक जोड़ देगा. एक सदी पहले यही काम काम ब्रिटिश सम्राज्य ने किया था. ब्रिटेन की तरह जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट चीन को गौरव भी दिलाएगा और धन भी. क्योंकि चीन को अपनी अर्थव्यवस्था के लिए कच्चा माल भी चाहिए और उपभोक्ता भी. कहा जा रहा है जिनपिंग के वक्त में ही चीन अमेरिका की तरह मॉडर्न और ताकतवर जाएगा. इस विजन और अपील ने जिनपिंग को आज दुनिया के दिग्गज नेता के तौर पर स्थपित कर दिया है.
मजबूत सेना, विस्तारवादी इरादे
- शी जिनपिंग ने चीन की सैन्य महत्वाकांक्षाओं को बारे में कई बार सफाई दी है. लेकिन दक्षिण चीन सागर में उसके अभियानों और हिंद महासागर में उसके दखल की इच्छाओं ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है. खुद उन्होंने अपनी सेना को ग्लोबल और मॉडर्न बनने के लिए 30 साल का वक्त दिया है. चीन की सेना अब ज्यादा मुखर है और पिछले कई अभियानों में उसने अत्याधुनिक साजोसामान का प्रदर्शन भी किया है. इसने अफ्रीकी देश जिबूती में अपना पहला मिलिट्री बेस बनाया है. पानी में न डूबने वाला एयरक्राफ्ट कैरियर उसकी बढ़ती सैन्य महत्वाकांक्षाओं का नया सबूत है.
- चीन में शी जिनपिंग को कोई चुनौती नहीं है. उन्होंने आजाद आवाजों, इंटरनेट और जन आंदोलनों को कुचल दिया है. कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया है या वे देश छोड़ने को मजबूर हो गए हैं. चीन में फेसबुक बैन है. तकनीक और ताकत के जरिये जिनपिंग चीन ने अपने यहां लोकतंत्र की आवाज दबा दिया है. बीबीसी न्यूज की चीनी मामलों के संपादक केरी ग्रेस कहती हैं-.पिछले पांच सालों में बहुत से बड़े नेता और कारोबारी अचानक लापता हो गए. कहा जाता है कि इनमें से ज़्यादातर चीन में नज़रबंद हैं. संदेश साफ है कि शी जिनपिंग से उलझोगे तो मरोगे. इन ज्यादतियों का बावजूद चीन में शी जिनपिंग में जनता के नेता की छवि बनाई है. वह आम लोगों की तरह सफर करते हैं. स्कूली बच्चों से मिलते हैं. लाइन में लग कर खाना खाते हैं.
शी जिनपिंग चीन के एक ऐसे संरक्षक और सर्वशक्तिमान नेता के तौर पर उभरे हैं जिसे उनके घर में `लिंगशिउ' कहा जा रहा है. यानी वह नेता जिसका विशाल व्यक्तित्व है और जो लगभग आध्यात्मिक है. दिव्य है.
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