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"तालिबान के सामने कभी सरेंडर नहीं करेंगे", अहमद मसूद ने दी युद्ध की चेतावनी

पंजशीर घाटी में अब भी तालिबान कब्जा नहीं कर पाया है, जहां का नेतृत्व अब युवा अहमद मसूद के हाथों में है

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1980 के दशक में अफगानिस्तान (Afghanistan) के प्रमुख सोवियत रूस विरोधी नेताओं में से एक अहमद शाह मसूद के बेटे और अफगानिस्तान के नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट के नेता, अहमद मसूद ने साफ कह दिया है कि वह तालिबान (Taliban) के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे और अगर तालिबान साथ मिलकर सरकार बनाने पर बातचीत से इनकार करता है तो युद्ध को रोका नहीं जा सकेगा.

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रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी क्षेत्र में मजबूत नियंत्रण रखने वाले अहमद मसूद ने यह बातें अल-अरबिया चैनल से बातचीत में कहीं.

कौन है अहमद मसूद? 

अहमद मसूद उस अहमद शाह मसूद का बेटा है, जिन्हें पंजशीर के शेर के रूप में जाना जाता था. उन्होंने पंजशीर घाटी में अपने गढ़ से तालिबान के खिलाफ सबसे मजबूत प्रतिरोध का नेतृत्व किया था. अमेरिका पर 9/11 के हमले से दो दिन पहले मोरक्को मूल के अल कायदा के आतंकवादियों द्वारा अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी गई थी.

पंजशीर घाटी 1990 के गृहयुद्ध के दौरान भी तालिबान के नियंत्रण में नहीं आयी और उससे एक दशक पहले सोवियत संघ द्वारा भी नहीं जीती गई थी. पंजशीर घाटी अब अफगानिस्तान की आखिरी क्षेत्र है जहां तालिबान का कब्जा नहीं है.इस क्षेत्र पर अभी भी अहमद मसूद के नेतृत्व में नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट का नियंत्रण है.

कई देशों से मांगी मदद

अहमद मसूद ने फ्रांस, यूरोप, अमेरिका और अरब दुनिया के लोगों से भी मदद मांगी है

इससे पहले फ्रांसीसी दार्शनिक बर्नार्ड-हेनरी लेवी से फोन पर बात करते हुए अहमद मसूद ने कहा कि “मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूँ; आत्मसमर्पण करना मेरी शब्दावली का हिस्सा नहीं है" यह शुरुआत है. विरोध अभी शुरू हुआ है.
"मैं पूछता हूं: क्या आप, पहले की तरह एक बार फिर हमारी सहायता करेंगे? कुछ के विश्वासघात के बावजूद, हमें अभी भी आप पर भरोसा है. हम अफगान उसी स्थिति में हैं जैसा 1940 में यूरोप था. पंजशीर को छोड़कर, पराजय लगभग पूरी तरह से है... केवल हम ही खड़े हैं और हम कभी नहीं झुकेंगे”.
हेनरी लेवी से अहमद मसूद

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