चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता को लेकर सोमवार को एक बड़ा बयान जारी किया है. चीन ने कहा है कि भारत की दावेदारी को लेकर उसके रुख में ‘कोई बदलाव’ नहीं आया है.
इस हफ्ते शुक्रवार को विएना में एनएसजी की बैठक होने वाली है. चीन का कहना है कि भारत की एनएसजी सदस्यता पर विचार तभी मुमकिन हो पाएगा जब गैर एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) देशों की एंट्री को लेकर नियम तय कर लिए जाएं.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस शुक्रवार को विएना में एनएसजी के पूर्ण सत्र का आयोजन होगा. फिलहाल हमारे रुख में कोई परिवर्तन नहीं है.
लू ने हैदराबाद की बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन भारत सहित संबंधित पक्षों के साथ नजदीकी संपर्क में है और इस मुद्दे पर रचनात्मक बातचीत और कॉपरेशन कर रहा है.
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने चीन के एनएसए और स्टेट काउंसलर यांग जिएची के साथ चार नवंबर को हैदराबाद में बातचीत की थी जिस दौरान यह मुद्दा उठाया गया था.
विएना में हो सकती है चर्चा
विएना में दो-दिवसीय बैठक के दौरान एनएसजी की दो-स्तरीय प्रक्रिया पर चर्चा होने की संभावना है. इसके तहत उन सदस्यों को ग्रुप में शामिल किया जा सकेगा, जिन्होंने एनपीटी पर साइन नहीं किए हैं.
एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर रहे भारत और पाकिस्तान - दोनों ने ही एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
चीन एनएसजी की सदस्यता को लेकर पाकिस्तान से लगातार बातचीत करता रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि अब फोकस इस बात पर है कि भारत को एनएसजी में कैसे शामिल किया जा सकता है, जिसका न्यूक्लियर अप्रसार के मामले में रिकॉर्ड बहुत पॅाजिटिव है, जबकि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बिलकुल उल्टा है.
मोदी ने थेरेसा को दिया धन्यवाद
भारत-ब्रिटेन टेक्नोलॉजी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भारत की एनएसजी सदस्यता के लिए ब्रिटेन से मिल रहे लगातार सपोर्ट के लिए ‘थेरेसा मे’ को धन्यवाद दिया.
वैश्विक मुद्दों पर हमारे विचारों में समानता बढ़ रही है. मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए ब्रिटेन के निरंतर समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मे को धन्यवाद देता हूं.नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे अपने तीन दिन के दौरे पर भारत आई हैं.
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