ADVERTISEMENTREMOVE AD

Al-Aqsa Mosque: इजराइल-फिलिस्तीन के बीच हिंसक झड़पों का अखाड़ा क्यों बनी मस्जिद?

तीन बड़े धर्म इस जगह को लेकर अपने अपने दावे करते हैं, आइए जानते इन दावों के बारे में जो इस जगह को विवादित बनाते हैं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

इस्लाम (Islam) धर्म में तीसरी सबसे पवित्र जगह मानी जाने वाली अल-अक्सा मस्जिद (Al-Aqsa Mosque) यानी हरम-अल शरीफ क्षेत्र में फिलिस्तीनियों और इजरायली सुरक्षा बलों के बीच एक बार फिर झड़प हो गई है. मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले इजराइली पुलिस (Israel Police) और फिलिस्तीनियों के बीच यह संघर्ष हुआ.

ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि अल-अक्सा मस्जिद में इजराइली पुलिस और फिलिस्तीनी नागरिकों के बीच हिंसक झड़प हुई हो, यह मस्जिद पहले भी दोनों के बीच भिड़ंत का अखाड़ा बनी रही है. यह मस्जिद लंबे समय से विवादित रही है. इसका कारण है तीन बड़े धर्माबलंंबियों का इसे लेकर दावा. आइए जानते हैं वे कौन से दावे और प्राचीन मान्यताएं हैं जो इस जगह को विवादों का अखाड़ा बनाते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

यहूदियों का दावा-

यहूदियों का कहना है कि जहां अल-अक्सा मस्जिद बनी है वहां कभी उनका धर्मस्थल था, जिसे मुसलमानों ने खंडित किया और फिर यहां पर मस्जिद बना ली. वे जो ऐतिहासिक तथ्य पेश करते हैं, उनके अनुसार 957 ई.पू में यरुशलम में यहूदियों ने अपना पहला धर्मस्थल बनवा लिया था.

जिसे बेबीलोनियंस ने तबाह कर दिया. बाद में 352 ईसा पूर्व में अपना दूसरा धर्मस्थल बनवाया और उसका नाम 'टेंपल माउंट' रखा. इसी को गिराकर मुस्लिमों द्वारा वहां पर मस्जिद अल-अक्सा के निर्माण करवाने की बात यहूदी कहते हैं.

अल-अक्सा मस्जिद की जो वेस्टर्न वॉल है उसे वह अपने पूर्व धर्मस्थल का ही अवशेष मानते हैं. इसे टेंपल माउंट का प्रतीक मान वे प्रेयर करते हैं.

यहीं वह जगह है जहां यहूदियों के अलावा ईसाई और मुसलमान भी कई हजारों सालों से अपने धार्मिक आयोजन अदा करते आ रहे हैं. इस्लाम का वेस्टर्न वॉल पर दावा इस आधार पर है कि बराक घोड़े को इसी दीवार से बांधा गया था और वे इस दीवार को बराक वॉल कहते हैं.

सातवीं शताब्दी में देवदूत जिब्राइल के साथ पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब बराक नामक घोड़े पर ही यहां आए थे. यहूदी और मुसलमान दोनों समुदाय काफी समय से इस धार्मिक स्थल को लेकर लड़ते आ रहे हैं. इसी कारण से अल-अक्सा मस्जिद पर विवाद की चिंगारियां फूटती रहती हैं.

0

इस्लाम का दावा

अल-अक्सा मस्जिद यानी हरम-अल शरीफ इस्लाम धर्म मानने वालों के लिए एक पवित्र जगह है. यह इस्लाम की तीसरी सबसे पवित्र जगह मानी जाती है. यहूदियों का मंदिर जब रोमन साम्राज्य ने नष्ट किया, इसके बाद मुस्लिमों और ईसाइयों के बीच यहां युद्ध हुआ, जिसमें ईसाई जीते. बाद में सौ साल गुजर जाने पर मुस्लिमों ने इस क्षेत्र को फिर जीत लिया. तबसे वे इस क्षेत्र में जमके रह गए.

सातवीं शताब्दी में पैगंबर हजरत मोहम्मद अल-अक्सा मस्जिद में पहुंचे थे. इससे मुसलमानों के लिए इसका महत्व काफी बढ़ गया. मुस्लिमों की पाक किताब कुरान शरीफ में भी अल-अक्सा मस्जिद का उल्लेख है. कई मुस्लिम यह भी विश्वास करते हैं कि यहीं से इस्लाम की शुरुआत हुई थी.

अभी मुस्लिम धर्माबलंबी भले ही मक्का के काबा की तरफ होकर अपनी नमाज अदा करते हैं, पर पहले वे करीब 35 एकड़ भूमि में फैली अल-अक्सा मस्जिद की ओर मुंह करके नमाज पढ़ा करते थे.

पैगंबर मुहम्मद की जन्नत रुखसती के चार साल बाद मुस्लिमों ने यरूशलम पर हमला कर उसे जीत लिया. तब यहां अल अक्सा मस्जिद बनवाई गई. इस मस्जिद के सामने डोम ऑफ दी चेन नामकी एक छोटी इमारत है, जिसके डोम ऑफ दी रॉक नामका वह पवित्र पत्थर रखा जिस पर अपने बराक घोड़े के साथ चढ़कर पैगंबर मुहम्मद जन्नत की उड़ान पर गए थे.

इन सब प्रतीकों के कारण इस्लाम मानने वाले यहां जुटते हैं. इसी इस डोम ऑफ दी चेन के बारे में यहूदियों का दावा है कि इजरायली रियासत के राजा सोलमन यहीं बैठकर अपने निर्णय दिया करते थे.

यह पूरा परिसर जिसमें अल-अक्सा मस्जिद, डोम ऑफ दी रॉक, डोम ऑफ दी चेन और वेस्टर्न वॉल आते हैं, बेहद संवेदनशील है. इस परिसर में प्रवेश के लिए 11 दरवाजे हैं. 10 केवल मुस्लिमों के लिए रिजर्व्ड हैं और सिर्फ एक दरवाजा यहूदियों को वेस्टर्न वॉल तक पहुंचने के लिए रखा गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ईसाइयों का दावा-

इस जगह से ईसाई धर्म का भी गहरा नाता है. ईसाइयों की सबसे पवित्र जगह भी यहीं पर स्थित है. यहीं पर ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. इस कारण ईसाई धर्म के मानने वाले लाखों लोग विश्व भर से हर साल यहां आते हैं. ईसाई धर्म के आने से पहले यरूशलम में सिर्फ यहूदी थे.

हालांकि ईसाइयों की ओर से इसे पाने के लिए हिंसा की बात अभी के सालों में सामने नहीं आई है. इस्लाम का दावा यहां से जुडने से पहले यहां यहूदी और ईसाइयों के बीच ही विवाद था. बाद में यह लड़ाई यहूदी और मुस्लिमों के बीच ही अधिक हो गई.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×