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Al-Zawahiri Killed : सुपरगन और लेजर की मार, अमेरिका के कथित 5 सीक्रेट हथियार

US secret weapons : हवा से भी तेज गति से निकलती हैं गोलियां, 18 हजार 750 घरों के बराबर लगती है बिजली

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कुख्यात अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी (Al Zawahiri) को अमेरिका ने मार गिराया है. जवाहिरी के घर को टारगेट करती हुई दो मिसाइलों से उसको खत्म किया गया है. जिस तरीके से जवाहिरी का काम तमाम हुआ उससे कई सवाल उठते हैं क्योंकि तस्वीरों में विस्फोट का कोई संकेत नहीं दिखा और अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इस धमाके से किसी और को नुकसान नहीं हुआ. इन सबको देखने और सुनने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका ने किसी सीक्रेट हथियार से इस मिशन को अंजाम दिया है. आइए जानते अमेरिका के कुछ कथित सीक्रेट हथियारों के बारे में...

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1. जवाहिरी के मामले में हेलफायर R9X की ओर किया जा रहा है इशारा

वाल स्ट्रीट जनरल के अनुसार कई वर्तमान और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी सरकार ने एक विशेष रूप से डिजाइन की गई गुप्त मिसाइल विकसित की है, जो बिना किसी विस्फोट के आतंकवादी नेताओं को मार गिराती है, नुकसान को कम करती है और आम नागरिकों के हताहत होने की संभावना को कम करती है.

CIA यानी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी और पेंटागन दोनों ने इस हथियार का इस्तेमाल किया है. R9X प्रसिद्ध हेलफायर मिसाइल का मॉडिफाइड वर्जन है. इसमें विस्फोटक नहीं होता है बल्कि धातु की धारदार ब्लेड का प्रयोग होता है. कार और बिल्डिंग को भेदने के लिए इसे 100 पाउंड मेटल से डिजाइन किया गया है.

इसके छह लंबे ब्लेड कार की छत या बिल्डिंग को भेदते हुए टारगेट को ध्वस्त कर सकते हैं. ये हथियार कब अस्तित्व में आया इसको लेकर जानकारी स्पष्ट नहीं है. लेकिन ऐसी जानकारी है कि ओबामा कार्यकाल के दौरान 2011 की शुरुआत में यह अंडरडेपलपमेंट में आया. इसे लादेन को मारने के लिए 'प्लान बी' के तौर भी माना जाता था.

R9X को निंजा बम और "फ्लाइंग जिन्सू" के नाम से भी जाना जाता है. 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में "फ्लाइंग जिन्सू" के नाम से एक धारदार चाकू का टीवी में जमकर विज्ञापन आता था. इस चाकू से पेड़ की शाखाओं को काटने के साथ बारीकी से टमाटर और अन्य चीजें को भी आसानी से काटते हुए दिखाया जाता था.

इस सीक्रेट हथियार का उपयोग अमेरिका के रक्षा विभाग ने लगभग आधा दर्जन बार किया है, जिसमें लीबिया, सीरिया, इराक, यमन और सोमालिया में ऑपरेशन शामिल हैं. इस हथियार से कई बड़े नामों को टारगेट किया जा चुका है.

2. स्टार ट्रैक जैसा हथियार है PHASR राइफल

स्टार ट्रैक सीरीज में जिस तरह की लेजर गन आपने देखी होगी कुछ वैसी PHASR राइफल भी है. न्यूज साइंटिस्ट डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार इस अमेरिकी हथियार का उद्देश्य न तो टारगेट को मारना है और न ही घायल करना. इसका उद्देश्य किसी को मारे बिना या उसे कोई शारीरिक नुकसान पहुंचाए बिना उसे स्थिर करना है.

यह उस व्यक्ति को अस्थायी रूप से अंधा करके किया जा सकता है जिसे वह टारगेट करता है. अमेरिकी सेना ने 2005 में एक लेजर गन, PHASR के प्रोटोटाइप विकसित किए थे फिलहाल इस समय यह प्रोजेक्ट किस स्टेज पर है इसकी जानकारी नहीं है. कुछ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन हथियारों को ड्रोन को गिराने के लिए भी विकसित किया जा रहा है.

अभी तक इस हथियार के दो प्रोटोटाइप हैं जिनका देश की सेना परीक्षण कर रही है. इसके उपयोग करने की अनुमति के लिए, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निरीक्षण के बाद लाइसेंस प्राप्त होना चाहिए. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल ऐसे उपकरणों के उपयोग को प्रतिबंधित करता है यदि वे व्यक्तियों को स्थायी नुकसान पहुंचाते हैं.

3. सुपरगन : घ्वनि की गति भी तेज वार करती है Railgun

वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार 2016 में टाॅप सीक्रेट हथियारों में से एक सुपरगन वीडियो प्रसारित हुआ था. अमेरिकी सेना के इंजीनियरों ने रेलगन नामक एक ऐसी शक्तिशाली सुपरगन विकसित की है जो एक फायर में स्टील की सात प्लेट में 5 इंच का छेद करने में सक्षम है.

रेलगन नामक इस हथियार में न तो गनपाउडर की आवश्यकता होती है और न ही विस्फोटक की. यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम द्वारा संचालित होती है. रेलगन से बुलेट ध्वनि से भी तेज गति से निकलती है. बुलेट 32 फुट लंबे बैरल से 4500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से निकलती है.

अमेरिकी नौसेना ने दुश्मन के जहाजों में छेद करने, टैंकों को नष्ट करने और आतंकवादी शिविरों को तबाह करने के लिए इस शक्तिशाली हथियार को विकसित किया है.

रेलगन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पावर से ऑपरेट होती है, इसे चलाने के लिए 25 मेगावाट के पावर प्लांट की जरूरत होती है. इतनी बिजली 18 हजार 750 घरों के लिए पर्याप्त होती है. इस प्रोजेक्ट पर अमेरिका करोड़ों डॉलर खर्च कर चुका है.

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4. MAARS : ऐसा रोबोट दुश्मनों के घर में घुसकर मारता भी है और अपने सैनिकों वापस भी लाता है 

MAARS यानी मॉड्यूलर एडवांस्ड आर्म्ड रोबोटिक सिस्टम एक ऐसा हथियार है जिसे दूर बैठा व्यक्ति आसानी से ऑपरेट कर सकता है. सही मायने में यह एक शक्तिशाली, मॉड्यूलर और कॉम्बैट रोबोटिक मशीनगन है. जिसे सर्विलांस और टारगेट को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें कई तरह के सेंसर लगे हुए है. सेल्फ प्रोटेक्शन फीचर से लैस इस रोबोटिक मशीनगन में Two-way कम्युनिकेशन सिस्टम, पेलोड, पावर मैनेजमेंट सिस्टम और सेफ्टी फीचर भी दिए गए हैं.

360 डिग्री विजुअल दिखाने वाले इस रोबोटिक हथियार में M24OB मशीनगन, चार M2O3 ग्रेनेड लॉन्चर्स और 400 से अधिक राउंड का गोलाबारुद रहता है. इसमें नाइट और थर्मल विजन भी है. जहां सुरक्षा कारणों से इंसान नहीं जा सकते वहां यह रोबोट बखूबी काम करता है.

400 पाउंड का यह रोबोट अपने साथ 12 घंटे की बैटरी (स्लीप मोड के साथ) लेकर चलता है. इसकी गति 7 मील प्रति घंटे की है. इसे एक हजार मीटर से ऑपरेट किया जा सकता है. इसमें एक वर्किंग आर्म भी है जो 300 पाउंड तक का वजन उठाने में सक्षम है. इसकी मदद से घायल सैनिकों को खतरनाक जगह से वापस भी लाया जा सकता है.

5. आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों के पास लेजर हथियार

अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन की वेबसाइट में अगर आप नजर दौड़ाएंगे तो आपको न्यू एज डिफेंस नाम से विंडो मिलेगी जहां डायरेक्टेड एनर्जी टेक्नोलॉजी से जुड़ी कई जानकारी मिलेगी. इसके अलावा अमेरिकी सेना की बात करें तो डेली मेल की एक खबर बताती है कि यूएस आर्मी के पास हाई पावर माइक्रोवेव (HPM) तकनीक है. जिससे ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मिटाया जा सकता है. इन हथियारों को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स वेपन भी कहा जाता है.

हाई पावर माइक्रोवेव (HPM) तकनीक से एक लेजर या बीम उत्पन्न होती है जो टारगेट को ध्वस्त कर सकती है. लेजर हथियार अपनी गति, फ्लेक्सिबिल्टी और कम लागत के लिए भी अहम है. इन हथियारों यदि हमला किया जाता है तो उसे डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है.

लेजर हथियार जमीन, हवा और पानी कहीं से भी ऑपरेट किए जा सकते हैं. इससे अपनी ओर बढ़ते खतरे को पलक छपकते ही नष्ट किया जा सकता है. ये मिसाइल, ड्रोन, ट्रक, नाव, एयरक्राफ्ट आदि को तबाह कर सकते हैं. यह टारगेट को ट्रैक करके उसे नष्ट कर सकते हैं. आने वाले समय में साइबर वार को ध्यान में रखते हुए कुछ लेजर हथियार ऐसे भी डिजाइन किए जा रहे हैं तो सैटेलाइट को भी तबाह कर सकते हैं.

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