अमेरिका और चीन के बीच का तनाव एक अलग ही स्तर पर जाता दिख रहा है. बुधवार को ट्रंप प्रशासन ने 72 घंटे के भीतर ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास बंद करने के लिए कह दिया. अब अमेरिका की तरफ से ये आरोप लगाए जा रहे हैं कि वीजा फ्रॉड की संदिग्ध चीनी साइंटिस्ट सैन फ्रांसिस्को के चीनी वाणिज्य दूतावास में छिपी हुई है. आरोप है कि ये वैज्ञानिक चीन के आर्मी के लिए काम करती और ये चीन के खुफिया प्रोग्राम का एक हिस्सा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की तरफ से कहा जा रहा है कि कुछ लोग अमेरिका में जासूसी कर रहे हैं, वो कोरोना वायरस की वैक्सीन पर चल रहे काम पर नजर रखे हुए हैं. चीन अपने इसी तरह के प्रोग्राम के तहत अंडरकवर आर्मी वैज्ञानिकों को अमेरिका भेज रहा है.
अमेरिकी सीनेटर मार्को रूबियो ने तो यहां तक कह दिया कि ह्यूस्टन का चीनी दूतावास तो डिप्लोमेटिक फैसिलिटी नहीं बल्कि अमेरिका में चीनी जासूसों के नेटवर्क का अड्डा है. बता दें कि मंगलवार को ह्यूस्टन पुलिस को सूचना मिली थी कि चीनी अधिकारी मंगलवार शाम वाणिज्य दूतावास में दस्तावेज जला रहे थे.
एक न्यूज रिपोर्टर के वीडियो में वाणिज्य दूतावास के प्रांगण में कई लोग और आग लगे दस्तावेज और कई ट्रैश कैन नजर आए. पुलिस को अंदर नहीं घुसने देने की भी बात भी सामने आई थी. अगले ही दिन अमेरिका ने इस दूतावास को खाली कराने का फैसला सुना दिया और इसके लिए 72 घंटे का समय दिया था. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ और चीनी मिशंस को बंद करने की भी चेतावनी दी है.
सैन फ्रांसिस्को के दूतावास पर क्या आरोप लगे हैं?
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, जिस संदिग्ध वैज्ञानिक की बात की जा रही है वो हैं जुआन तांग. पहले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में बतौर रिसर्चर काम कर चुकी हैं. पिछले महीने एक एफबीआई एजेंट ने जब उनका इंटरव्यू लिया था तो तांग ने कहा था कि उन्होंने चीन की आर्मी के लिए काम नहीं किया है. लेकिन दस्तावेजों के मुताबिक, मिलिट्री के यूनिफॉर्म में उनकी तस्वीरें मिली हैं और अमेरिकी जांच में ये भी पता चला है कि उनके रिश्ते चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से है.
ऐसे में आरोप ये लगाए जा रहे हैं कि ये वैज्ञानिक चीन के उसी प्रोग्राम का हिस्सा हैं, जिसके तहत चीन अमेरिका में अपने मिलिट्री साइंटिस्ट भेज रहा है.
अब जब अमेरिकी ने बाकी कॉन्सुलेट्स को भी बंद करने की चेतावनी दे दी है तो उम्मीद की जा सकती है कि जुआन तांग के राज से परदा उठेगा.
दस्तावेजों में इसी तरह के दो और रिसर्चर्स का जिक्र है, जिन्हें हाल ही में कैलिफोर्निया से गिरफ्तार किया गया था. और उन्होंने भी चीनी मिलिट्री से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया था.
चीन की प्रतिक्रिया क्या है?
ह्यूस्टन के वाणिज्य दूतावास को बंद कराने के फैसले परचीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम अमेरिका द्वारा एकतरफा शुरू किया गया है और "अगर इस गलत निर्णय को वापस नहीं लिया गया तो बीजिंग इसका करारा जवाब देगा." चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी सिक्योरिटी ने उसके राजनयिक कर्मचारियों और छात्रों को परेशान किया और पर्सनल इलेक्ट्रिकल डिवाइस को जब्त कर लिया और उन्हें बिना किसी कारण के हिरासत में ले लियाय विदेश मंत्रालय ने कहा, "चीन इस तरह के अपमानजनक और अनुचित कदम की कड़ी निंदा करता है, जो चीन-अमेरिका संबंध बिगाड़ देगा. हम अमेरिका से अपने गलत फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करते हैं. नहीं तो चीन उचित और आवश्यक जवाब देगा."
चीन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चीन दूसरे देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है. पिछले कई सालों में ह्यूस्टन के चीनी कांसुलेट समेत अमेरिका में स्थित चीनी दूतावासों और कांसुलेट हमेशा ही वियना राजनयिक संधि के हिसाब से अमेरिका में काम करते हैं. चीन का आरोप है कि कई बार चीन के राजनयिक पोस्ट बैग को खोला गया है और चीनी पक्ष की आधिकारिक वस्तुओं को जब्त किया गया. हाल में अमेरिका ने चीन को बदनाम करने की पूरी कोशिश की है.
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