कमला हैरिस के अंकल गोपालन बालचंद्रन कहते हैं कि हैरिस का लोगों की सेवा करने का संकल्प और मानवाधिकारों के लिए उनकी प्रतिबद्धता अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने की दौड़ में उनके साथ खड़ी होगी.
बालचंद्रन ने कहा कि परिवार को कमला हैरिस पर गर्व है और उन्हें 'हमेशा लगता था कि ये होगा.' उन्होंने कहा, "कमला बहुत अच्छी वकील थीं और ये पूरी तरह चौंकाने वाला नहीं है. हमें पता था कि उन्हें डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी मिल जाएगी और वो अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन जाएंगी."
डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन ने कैलिफोर्निया की सीनेटर कमला हैरिस को 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है.
55 वर्षीय कमला हैरिस की मां एक भारतीय थीं और पिता जमैकन. हैरिस पहली भारतीय-अमेरिकी हैं, जो इस पद के लिए नामित की गई हैं.
अपनी मां के कदमों पर चलीं कमला
गोपालन बालचंद्रन कहते हैं कि कमला हैरिस में मानवाधिकारों और न्याय के लिए प्रतिबद्धता उनकी मां श्यामला के प्रभाव से आई है.
श्यामला ने 19 साल की उम्र में भारत छोड़ दिया था और वो 1960 में कैंसर पर रिसर्च करने अमेरिका पहुंच गईं. उन्होंने 1960 के दशक में अश्वेतों के नागरिक अधिकार आंदोलन में हिस्सा लिया, जहां उनकी मुलाकात जमैकन नागरिक डोनाल्ड हैरिस से हुई.
यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन से इकनॉमिक्स और कंप्यूटर साइंस में पीएचडी करने वाले बालचंद्रन कहते हैं कि उनकी बहन श्यामला ‘उस रास्ते पर पहले चल चुकी हैं, जिस पर अब कमला चल रही है.’ श्यामला उस समय अमेरिका में राजनीतिक रूप से सक्रिय थीं, जब भारतीय-अमेरिकी के ऐसा करने की कोई कहानी नहीं मिलती है.
क्विंट के साथ इंटरव्यू में बालचंद्रन ने कहा, "श्यामला का कमला पर काफी प्रभाव है. वो असाधारण इंसान थीं, हालांकि मैं उस समय ऐसा नहीं सोचता था. अब जब समय में पीछे देखता हूं तो लगता है कि 60 के दशक में जो उन्होंने किया, शायद ही कोई भारतीय कर पता."
'सिर्फ मानवीय, कोई असाधारण नहीं'
कमला हैरिस भारतीय और अफ्रीकी मूल की पहली अमेरिकी हैं और सिर्फ तीसरी महिला हैं, जो उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ी हो रही हैं. हालांकि, बालचंद्रन कहते हैं कि 'कमला कुछ असाधारण नहीं कर रही.'
वो सिर्फ मानवीय सिद्धांतों का पालन कर रही है. लोगों को रंग के आधार पर मत बांटो. ऐसे कानून मत बनाओ जो सबको फायदा न दें. और वो सिर्फ इसी के लिए लड़ रही है. जब कोई उससे पूछता है, ‘ओह, आपने ये किया?’ वो कहती है, ‘मुझे लगता है कि ये सभी को करना चाहिए.’बालचंद्रन
वो कहते हैं कि एक डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, एक अटॉर्नी जनरल और एक सीनेटर के तौर पर कमला हैरिस ने लोगों की आवाज उठाई है और उपराष्ट्रपति बनने के बाद वो और भी करेंगी.
'लोगों के भले के लिए लड़ेगी'
जब गोपालन बालचंद्रन से पूछा गया कि क्या कमला महिलाओं के अधिकारों और दक्षिण एशियाई और अश्वेतों के साथ भेदभाव के खिलाफ खड़ी होंगी, तो उन्होंने कहा कि वो 'मानवाधिकारों' के लिए खड़ी होंगी.
बालचंद्रन ने कहा, "अमेरिका सबसे ताकतवर देशों में से एक है और लोग अमेरिका की बात सुनते हैं. तो इसे मॉडल देश बनना होगा जिसके बाकी फॉलो करें. कमला मानवाधिकारों और कैसे अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव नहीं होना चाहिए, इसके लिए लड़ेगी."
वो हेल्थकेयर को मूल अधिकार बनाने के लिए काम करेगी. लोगों में भेदभाव न हो, कानून सबके लिए बराबर हो, सबके पास अच्छी हेल्थ सुविधाएं हों, अच्छी पढ़ाई मिले. वो कई कानूनों के लिए लड़ेगी, जैसे कि बॉडी कैमरा और दोषियों को वोट न देने का अधिकार. वो पूछेगी कि कैसे किसी से वोट देने का अधिकार छीन सकते हैं.बालचंद्रन
'श्यामला को गर्व होता'
जब बालचंद्रन से पूछा गया कि क्या उन्होंने ऐलान के बाद कमला से बात की, तो उन्होंने बताया कि बात नहीं हुई है और वो चुनाव तक बात नहीं करेंगे. बालचंद्रन ने 12 अगस्त को मीडिया चैनलों से कहा, "अगर मैं उससे कुछ कहता हूं, तो वो कहेंगे कि उसके अंकल भारत-अमेरिकी संबंधों के एक्सपर्ट हैं और उसे सलाह दे रहे हैं. भारतीय दखलंदाजी कर रहे हैं."
लेकिन उन्होंने कमला को एक मेसेज दिया है, "बधाई हो कमला! श्यामला को गर्व होता."
उन्होंने कहा, "मैं उसे कहना चाहूंगा कि श्यामला के सुझावों को फॉलो करना. करने से पहले सोचा. हमेशा खुद से पूछना कि श्यामला ने क्या कहा होता."
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