अमेरिका ने UNESCO से बाहर होने की गुरुवार को घोषणा की. अमेरिका ने इस सांस्कृतिक संस्था पर इजरायल विरोधी रूख अपनाने का आरोप लगाया है. बता दें कि UNESCO (यूनेस्को यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन) ने साल 1946 में काम करना शुरू किया था.
ये दुनिया की सबसे प्रसिद्ध धरोहर को संजोने और उन्हें नॉमिनेट करने के लिए खास तौर पर जाना जाता है. यूनेस्को से बाहर होने का अमेरिका का फैसला 31 दिसंबर 2018 से प्रभावी होगा. हालांकि, अमेरिका उस वक्त तक यूनेस्को का एक फुल टाइम मेंबर बना रहेगा.
संस्था में मूलभूत बदलाव करने की जरुरत: अमेरिका
विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नाउर्ट ने कहा, ये फैसला यूं ही नहीं लिया गया है, बल्कि ये यूनेस्को पर बढ़ती बकाया रकम की चिंता और यूनेस्को में इजरायल के खिलाफ बढ़ते पूर्वाग्रह को जाहिर करता है. संस्था में मूलभूत बदलाव करने की जरूरत है.
प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका ने महानिदेशक को गैर सदस्य पर्यवेक्षक के तौर पर यूनेस्को के साथ जुड़े रहने की अपनी इच्छा जाहिर की है ताकि संगठन के कुछ अहम मुद्दों पर अमेरिकी विचार और विशेषज्ञता में योगदान दिया जा सके. इन मुद्दों में विश्व धरोहर की सुरक्षा, प्रेस की आजादी की हिमायत करना और वैज्ञानिक सहयोग, शिक्षा को बढ़ावा देना भी शामिल है.
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