अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सेहत और उनकी दिमागी हालत चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गई है और मुद्दा उन्होंने खुद ही बनाया है. जबसे डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभर रहे हैं, तब से ट्रंप ने बाइडेन की दिमागी हालत पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. ट्रंप 74 साल के हैं और बाइडन 77 साल के. इस चक्कर में ट्रंप अब यह साबित करने में लगे हुए हैं कि उनकी दिमागी हालत बिलकुल ठीक है.
चुनावी परीक्षा, दिमागी टेस्ट!
9 जुलाई को उन्होंने अचानक ये कह कर सबको चौंकाया कुछ दिन पहले ही उन्होंने वॉल्टर रीड सैनिक अस्पताल में जाकर कॉग्निटिव टेस्ट कराया. रिजल्ट से डॉक्टर हक्का बक्का रह गए क्योंकि उन्होंने सारे सवालों के सही जवाब दे दिए और ऐसा कम लोगों के साथ होता है.
एक रेडियो शो में ट्रंप ने कहा कि अब बाइडेन को भी ये टेस्ट कराना चाहिए. बाइडेन पहले कह चुके हैं कि वो अपनी नियमित जांच कराते हैं और वो बिल्कुल फिट हैं.
काग्निटिव टेस्ट एक आसान सा टेस्ट है इसमें किसी व्यक्ति को कोई जानकारी दी जाए तो उसे सुनकर समझने, याद रखने और अलग अलग चीजों को पहचानने की क्षमताओं की जांच की जाती है.
ट्रंप ने ये नहीं बताया है कि ये टेस्ट कब कराया. ये रिपोर्ट रिलीज नहीं की गई है. ट्रंप को नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि हमेशा की तरह शायद ट्रंप झूठ बोल रहे हैं.
क्या वाकई ट्रंप को कोई दिक्कत है?
CNN ने ट्रंप के साथ 18 साल तक काम कर चुकीं बारबरा रेस से बात की. बारबरा का कहना है कि ट्रंप का शब्दकोष घटता जा रहा है. वो ये बात काफी समय से नोटिस कर रही हैं कि ट्रंप एक ही बात और शब्द बार-बार दोहराते रहते हैं. बारबरा ने यह भी कहा कि बात को ध्यान देकर सुनने समझने में तो ट्रंप को बरसों पहले ही दिक्कत होती थी.
ट्रंप पर किताब (दि ट्रुथ अबाउट ट्रंप) लिखने वाले माइकल डी’ एंटोनियो ने तो और भी गंभीर बात कही है. उन्हें शक है कि कॉग्निटिव टेस्ट के बारे में ट्रंप कुछ न कुछ झूठ बोल रहे हैं.
मुद्दा ट्रंप की काग्निटिव क्षमता का नहीं है. मुद्दा है उनकी मानसिक अक्षमता. वो कामकाज में गंभीर विषयों को समझने और उन पर फैसले लेने से लगातार चूक रहे हैं.माइकल डी’ एंटोनियो
दरअसल जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ट्रंप की बदहवासी बढ़ती जा रही है. हर ओपिनियन पोल में अब वो बाइडेन से पिछड़ रहे हैं. दोनों के बीच अब कम से कम 14 प्वाइंट का फासला हो गया है. सट्टा बाजार में ट्रम्प आगे चल रहे थे. अब वहां भी बाजी पलट गई है.
कोरोना महामारी, ब्लैक लाइव्स मैटर और अर्थव्यवस्था के मोर्चों पर ट्रंप की रेटिंग लगातार गिर रही है. उनके मूल वोटरों में भी अब नाराजगी बढ़ रही है. ABC न्यूज और IPSOS ने 8-9 जुलाई को एक सर्वेक्षण कराया. उसके मुताबिक 67% लोग ये मानते हैं कि ट्रंप कोरोना को काबू करने में विफल रहे हैं और नस्ली तनाव के मुद्दे पर भी 67% लोग मानते हैं कि ट्रंप ने गलतियां कीं.
ट्रंप की मुसीबतें रोजाना बढ़ रही हैं. इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रंप को अपने टैक्स पेपर निचली अदालत में जाकर दिखाने होंगे. ट्रंप लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उनके टैक्स का हिसाब किताब न देखा जाए लेकिन अब उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी. अमेरिका में राजनीतिक विश्लेषक अब कह रहे हैं कि चुनाव में अपनी हालत खराब होता देख अब ट्रंप अपने प्रति हमदर्दी जगाने की कोशिश कर रहे हैं. वो खुद को एक निर्दोष विक्टिम के रूप में प्रोजेक्ट करना चाहते हैं लेकिन ये खेल शायद नहीं चल पाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)